नोट संकट के बीच छोटे कारोबारियों की परेशानी बढ़ी
|सरकार के 500 और 1,000 का नोट बंद करने के कदम से 86 प्रतिशत करेंसी चलन से बाहर हो गई है। सब्जी बेचने वाले से लेकर ढाबे और छोटी किराना दुकानांे की परेशानी इससे बढ़ती जा रही है क्यांेकि वे नकद में ही लेनदेन करते हैं।
निर्माण और अन्य क्षेत्रों मंे कार्यरत बड़ी संख्या मंे दिहाड़ी मजदूर बेरोजगार हो गए हैं। इसकी वजह है कि सीमेंट, रेत और अन्य सामानों की आपूर्ति नहीं आ रही है।
राजमार्गों पर बड़ी संख्या मंे ट्रक भी खडे हैंं। क्योंकि ट्रक चालकांे के पास वैध मुद्रा नहीं है। इससे देश के कई हिस्सांे में वस्तुआंे की आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हुई है।
नकदी की कमी की वजह से फलांे के थोक बाजार के अलावा अनाज मंडी मंे भी कारोबार काफी कम पर आ गया है। बड़े होटलों तथा मॉल्स पर भी लोगांे की आवाजाही कम हुई है।
राज्यसभा मंे नोटांे को बंद करने को लेकर गरमा गरम बहस के बीच सरकार लगातार स्थिति सुधारने का प्रयास कर रही है। नए नोटों की आपूर्ति बढ़ाई जा रही है साथ ही कई एटीएम को नए नोटों के लिए व्यवस्थित किया जा रहा है। लेकिन ऐसा नहीं लगता है कि कुल दो लाख एटीएम में से करीब आधे एटीएम भी एक सप्ताह से पहले नए नोटांे के अनुकूल हो पाएंगे।
इस बीच, भारतीय स्टेट बैंक और अन्य बैंकांें ने दिल्ली में आज अमिट स्याही का इस्तेमाल शुरू किया। सरकार की ओर से जारी बयान के अनुसार एसबीआई की 11 शाखाआंे में अमिट स्याही का इस्तेमाल हो रहा है। लोगांे के बार-बार नोट बदलने के लिए लाइन मंे लगने को लेकर यह कदम उठाया जा रहा है।
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