नोटबंदी से बड़े लाभ मिलने पर ही इसका बोझ वाजिब लगेगा: रघुराम राजन

नोटबंदी की लागत से लेकर बैड लोन के आंकड़े तक के बारे में आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का अनुमान काफी सटीक रहा है। एम. सी .गोवर्द्धन रंगन को दिए इंटरव्यू में राजन ने इंडियन इकनॉमी के भविष्य पर चर्चा की। पेश हैं इसके मुख्य अंश:

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सवाल: नोटबंदी से लगा झटका हमारे सामने है, लेकिन क्या वाकई ऐसा करना जरूरी था? अपनी ‘कॉस्ट-बेनेफिट’ रिपोर्ट में आपने सरकार को जो बताया था, क्या यह उससे ज्यादा है?
राजन: मुझे नहीं लगता कि हमने लागत या फायदे का पूरी तरह आकलन किया है। अभी इस बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। हमारी सलाह इस बारे में थी कि इस पूरे अभियान की लागत कैसे कम से कम रखी जाए, लिहाजा हम असल में लागत का आकलन नहीं कर रहे थे। फायदों की जहां तक बात है तो जब तक हमें पता न चले कि कितना लाभ हुआ, यह कहना जल्दबाजी होगी कि यह सब अच्छा था या बुरा। हालांकि अब तक आए डेटा को देखते हुए लागत काफी ज्यादा रही है। लिहाजा जो लागत दिखी है, उसे जायज ठहराने के लिए फायदे काफी बड़े होने चाहिए।

सवाल: तो किन फायदों की संभावना है?
राजन: मुझे लगता है कि सबसे बड़ा फायदा टैक्स कंप्लायंस के बारे में संकेत को लेकर होगा। अगर इससे इकनॉमी में टैक्स नियमों का ज्यादा पालन होने लगे तो अच्छा होगा। हर फाइनेंस मिनिस्टर ने यह शिकायत की है कि देश में खरीदी जाने वाली कारों या बेचे जाने वाले लग्जरी मकानों के मुकाबले कितने कम लोग टैक्स चुकाते हैं।

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सवाल: लचर तैयारी के लिए काफी आलोचना आरबीआई की भी हुई। क्या कहेंगे?
राजन: मुझे नहीं लगता कि नोटों की छपाई शुरू होने और नोटबंदी की घोषणा के बीच के समय में उतने नोट छाप पाना संभव था, जिनकी जरूरत रद्द किए गए नोटों की जगह पर थी। तो अगर पैसा ही नहीं था तो आप उसे पब्लिक में डिस्ट्रीब्यूट भी नहीं कर सकते हैं। आप डिस्ट्रीब्यूशन आदि के बारे में बात कर सकते हैं, लेकिन पर्याप्त संख्या में छपे हुए नोट ही नहीं थे।

सवाल: अब तो जो होना था हो चुका, अब सरकार को क्या करना चाहिए?
राजन: ब्लैक मनी के सबूत के लिए उन एकाउंट्स पर गौर करना महत्वपूर्ण होगा, जिनको लेकर संदेह जताया गया है। यह सब बहुत अनुशासित तरीके से होना चाहिए ताकि यह खुफियागीरी टाइप मामला न बन जाए और आम लोगों को परेशानी न हो। अभी जो आर्थिक समस्याएं हैं, उन्हें देखते हुए दो बातों पर फोकस करना चाहिए। एक तो प्राइवेट इनवेस्टमेंट में कमी का मामला है। यह ट्विन बैलेंस शीट प्रॉब्लम के चलते हो सकता है और इस मामले का हल जल्द से जल्द होना चाहिए। यानी कंपनियों और बैंकों की बैलेंस शीट को दुरुस्त करना। फिर पावर सेक्टर पर ध्यान दिया जाना चाहिए, जिसमें दिक्कत के कुछ संकेत दिख रहे हैं।

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