नोटबंदी ने बदला APMC चुनाव का गणित
|नोटबंदी के चलते नकदी संकट और व्यापारिक नुकसान से जूझ रहीं दिल्ली की सभी मंडियों में सियासी हवा भी तेजी से बदली है। छह मंडियों की ऐग्रो प्रोड्यूस मार्केटिंग कमिटी (एपीएमसी) और दिल्ली ऐग्रिकल्चरल मार्केटिंग बोर्ड (डीएएमबी) के लिए 12 दिसंबर को मतदान होना है। अब तक सभी कमिटियों में बीजेपी या कांग्रेस समर्थक व्यापारियों और आढ़तियों का ही कब्जा है, लेकिन नोटबंदी के बाद महाराष्ट्र के एक अहम मंडी चुनाव में बीजेपी को मिली करारी शिकस्त के बाद यहां भी सरकार विरोधी लहर तेज होती दिख रही है।
आजादपुर मंडी में गुरुवार को अरविंद केजरीवाल की रैली को आम तौर पर नोटबंदी और मोदी के खिलाफ उनके गुस्से के इजहार के तौर पर लिया गया, लेकिन जानकार बताते हैं कि केजरीवाल ने कृषि व्यापारियों के गढ़ में चुनावी बिगुल फूंकने के खास मकसद से रैली की जगह चुनी थी।
आजादपुर, नरेला, गाजीपुर, शाहदरा, केशोपुर, नजफगढ़ की मंडी कमिटियों में 13 सदस्य होते हैं। इनमें 4-4 सदस्य लाइसेंस्ड ट्रेडर्स और कमिशन एजेंट्स की ओर से सीधे तौर पर चुनकर आते हैं, जबकि 9 राज्य सरकार की ओर से मनोनीत होते हैं। निर्वाचित सदस्यों में से 1-1 डीएएमबी में भी व्यापारियों की नुमाइंदगी करते हैं। मंडी को रेग्युलेट करने से लेकर प्रशासन और विकास में कमिटी का अहम रोल होता है। केजरीवाल सरकार ने सत्ता में आने के बाद से एपीएमसी रेग्युलेशन में कई बदलाव किए हैं, लेकिन अब भी ट्रेडर्स की सियासी नुमाइंदगी वाले स्पेस में उसकी एंट्री नहीं पाई थी। जानकार बताते हैं कि गुरुवार को केजरीवाल के खिलाफ नारे लगाने में व्यापारियों का वह तबका सबसे ज्यादा सक्रिय था, जो नहीं चाहता कि लोकल चुनाव में कोई तीसरी ताकत फायदा उठाए।
फेडरेशन ऑफ आजादपुर मंडी फ्रूट्स ऐंड वेजिटेबल ट्रेडर्स के सचिव आर के. भाटिया ने कहा, ‘निश्चित तौर पर नोटबंदी का कारोबार पर बुरा असर पड़ा है और ट्रेडर्स में नाराजगी है, लेकिन इस फैसले को हमें देशहित के नजरिए से देखना चाहिए। केजरीवाल ने यहां चुनावी लाभ लेने की कोशिश की थी, लेकिन नाकाम रहे। यह चुनाव पूरी तरह लोकल मुद्दों पर लड़ा जाता है।’ वहीं आम आदमी पार्टी समर्थक नए धड़ों का कहना है कि अचानक लिए गए फैसले से ईमानदार कारोबारियों को काफी नुकसान हुआ है। पेमेंट में देरी से माल नहीं आ रहा तो कुछ के कई कंसाइनमेंट रास्ते में खराब हो चुके हैं। उनका कहना है कि इससे लोगों में गुस्सा है और यहां भी महाराष्ट्र के पनवेल एपीएमसी के नतीजे दोहराए जा सकते हैं।
एपीएमसी सेल, परचेज, स्टोरेज, वेइंग, ग्रेडिंग और प्रोसेसिंग को रेग्युलेट करने के साथ ही मार्केट फीस और फंडिंग को भी कंट्रोल करती है। साथ ही सब-मार्केट या यार्डों के प्रबंधन के अलावा व्यापारिक विवादों का निपटारा भी करती है।
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