नोएडा के 22 दफ्तरों में टॉइलट ही नहीं, मजबूरी में ट्रांसफर ले रहीं महिलाकर्मी
|सेक्टर-6 स्थित क्षेत्रीय खाद्य आपूर्ति विभाग में तैनात महिला इंस्पेक्टर प्रियंका राय ने कुछ समय पहले सिर्फ इसलिए यहां से ट्रांसफर करा लिया क्योंकि ऑफिस में शौचालय की सुविधा ही नहीं है। रोज-रोज इधर-उधर जाना पड़ता था। शनिवार को अगल-बगल के ऑफिस बंद रहते थे, इसलिए परेशानी ज्यादा होती थी। इस समस्या से निजात पाने के लिए किसी दूसरे जगह जाना ही बेहतर विकल्प लगा। इस समय यहां कोई भी महिला इंस्पेक्टर नहीं है। यह हालात केवल यहीं के नहीं है। शहर के अधिकांश सरकारी विभागों में महिला कर्मियों को शौचालय की सुविधा नहीं मिल रही है।
यहां के 24 से अधिक सरकारी विभागों में से सिर्फ दो में ही पब्लिक टॉइलट की सुविधा है। उनमें भी महिलाओं के लिए अलग से नहीं है। एक ही शौचालय में महिलाओं और पुरुषों को जाना पड़ता है, जो इतने ज्यादा गंदे और इंफेक्शन से भरे हैं कि महिलाओं को इनकी वजह से यूटीआई इंफेक्शन तक हो रहा है। यहां के कर्मचारियों के साथ-साथ इन ऑफिसों में आने वाले लोगों को परेशान होना पड़ाा है। सेक्टर-11 स्थित माप तौल विभाग, सेक्टर-24 स्थित पोस्टऑफिस और सेक्टर-20 स्थित कई विभागों में शौचालय नहीं हैं ।
नहीं है एक भी महिला शौचालय
सेक्टर-19 स्थित सिटी मैजिस्ट्रेट कार्यालय के कैंपस में 8-10 सरकारी विभाग हैं। अलग-अलग विभागों में 15-20 महिला कर्मी सुबह से शाम तक ड्यूटी करती हैं। हर रोज करीब 20-25 आंगनबाड़ी व बीएलओ यहां कई-कई घंटे बैठकर काम करती हैं। पब्लिक प्लेस होने की वजह से रोजाना 100-150 महिलाएं आती हैं, लेकिन यहां एक ही महिला शौचालय नहीं है। बहुत ही गंदा और बदहाल हालत में एक पब्लिक टॉइलेट है। महिला पुरुष सब उसी में जाते हैं। महिला कर्मियों ने बताया कि शौचालय की गंदगी की वजह से उन्हें यूटीआई इंफेक्शन हो जाता है।
यहां टिकना ही नहीं चाहतीं महिलाकर्मी
खाद्य आपूर्ति विभाग में इस समय मात्र एक महिला कंप्यूटर ऑपरेटर है। इंस्पेक्टर प्रियंका के ट्रांसफर के बाद एक कंप्यूटर ऑपरेटर भी शौचालय न होने की वजह से यहां से नौकरी छोड़कर चली गईं। स्टाफ का कहना है कि इससे पहले भी 5-6 महिलाएं आईं वह भी शौचालय की वजह से रोज परेशान रहती थीं। क्षेत्रीय खाद्य आपूर्ति अधिकारी विजय बहादुर का कहना है कि शौचालय न होने की वजह से कोई महिला कर्मी यहां टिकना ही नहीं चाहती। हम लोग तो कहीं भी चले जाते हैं लेकिन महिलाएं कहां जाएं। कई बार अथॉरिटी से लिखित में इसकी मांग की जा चुकी है।
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