निकाय चुनाव: गड़बड़ मतदाता सूची नहीं हो सकती अब दुरुस्त, जानिए क्यों?

इलाहाबाद
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने नगर निकाय चुनाव की मतदाता सूची में गड़बड़ी में सुधार करने की मांग में दाखिल याचिकाओं पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि स्थानीय निकाय चुनाव की प्रक्रिया जारी है, ऐसे में कोर्ट कानून के अनुसार अब हस्तक्षेप नहीं करेगी। बता दें कि जौनपुर के कमाल आजमी और गाजियाबाद के सुबोध कुमार त्यागी की याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट ने यह आदेश दिया।

इन याचिकाओं पर चीफ जस्टिस डीबी भोसले और जस्टिस सुनीत कुमार की खंडपीठ ने सुनवाई की। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि कई लोगों के नाम पिछले चुनाव में मतदाता सूची में थे लेकिन वर्तमान चुनाव में जारी मतदाता सूची से नाम गायब कर दिए गए हैं। जौनपुर के कमाल आजमी का कहना था कि अंतिम मतदाता सूची जारी होने से पहले उनके वार्ड में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अधिक थी लेकिन बाद में अंतिम मतदाता सूची जारी करके नाम कम कर दिए गए।

हालांकि, राज्य सरकार के अपर स्थाई अधिवक्ता का कहना था कि चुनाव प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और नामांकन की अंतिम तिथि के बाद मतदाता सूची में संशोधन नहीं किया जा सकता।

नगर निगम अधिनियम की धारा 39 (5) के मुताबिक और नगर पालिका अधिनियम की धारा 12 (बी) के तहत नामांकन की अंतिम तिथि के बाद मतदाता सूची में किसी प्रकार का संशोधन चाहे वह नाम जोड़ने का हो या नाम हटाने का हो, नहीं किया जा सकता। निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी हो चुकी है। मेयर और अध्यक्ष पद के साथ सभासदों के चुनाव के लिए नामांकन भी किए जा चुके हैं। ऐसे में मतदाता सूची से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती। कोर्ट ने याचिका को कमजोर मानते हुए खारिज कर दिया।

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