नहीं मिला खरीदार तो एयर इंडिया ने सरकार से की 2000 करोड़ के अतिरिक्त फंड की मांग
|आर्थिक दिक्कतों से जूझ रही एयर इंडिया ने सरकार से 2000 करोड़ रुपये के अतिरिंक्त फंड की मांग की है। यह जानकारी कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दी है। एयरलाइन को उम्मीद है कि मॉनसून सत्र में सरकार इसकी मंजूरी दे सकती है।
यूपीए सरकार ने 2012 में एयर इंडिया के लिए 30,231 करोड़ रुपये के बेलआउट पैकेज की घोषणा की थी। कंपनी को अब तक 26,000 करोड़ रुपये मिल चुके हैं। एक अधिकारी ने बताया, ‘हमने सरकार से इक्विटी इन्फ्यूजन को दोबारा शुरू करने की मांग की है जो विनिवेश की वजह से रुक गया था। मौजूदा हालात से निपटने के लिए हमने सरकार से 2000 करोड़ के अतिरिक्त फंड की मांग की है।’
साल 2013-14 से एयर इंडिया को हर साल औसतन 3,000-4,000 करोड़ की राशि मिलती है। अब धीरे-धीरे यह राशि कम हो रही है। 2018-19 में इसे 650 करोड़ देने का फैसला किया गया था क्योंकि इसके निजीकरण की योजना थी। लेकिन यह योजना बुरी तरह विफल हुई। एयरलाइन की 76 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच रही सरकार को कोई खरीदार नहीं मिला। आर्थिक परेशानी की वजह से एयर इंडिया के कर्मचारियों की सैलरी भी रुकी हुई है। सितंबर से जनवरी तक कंपनी अलग-अलग बैंकों से 6,250 करोड़ का कर्ज ले चुकी है।
एयर इंडिया ने कई संस्थानों में 1000 करोड़ के वर्किंग कैपिटल लोन के लिए भी संपर्क किया है। नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु का कहना है कि एयर इंडिया के विनिवेश के बारे में मंत्रियों का समूह फैसला करेगा। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में होने वाली AISAM की बैठक में इसका फैसला लिया जाएगा।
मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।
Latest Business News in Hindi – बिज़नेस समाचार, व्यवसाय न्यूज हिंदी में | Navbharat Times