नहीं बढ़ सकता निगम पार्षदों का भत्ता
|साउथ एमसीडी के पार्षदों का न तो भत्ता बढ़ेगा और न ही उन्हें अन्य सुविधाओं के लिए धनराशि मिलेगी। डीएमसी एक्ट में संशोधन किए बिना उन्हें यह सुविधा नहीं मिल पाएगी। बीजेपी पार्षदों के इस प्रस्ताव की खासी किरकिरी हो रही है। बीजेपी नेतृत्व में भी पार्टी पार्षदों के इस प्रस्ताव पर खासी नाराजगी जताई है। एमसीडी में पिछले कई सालों से वेतन भत्ते को लेकर लगातार प्रस्ताव पास हो रहे हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं होती है।
बजट के मामले में साउथ एमसीडी की माली हालत बाकी दोनों एमसीडी से ठीक है। लेकिन यहां के पार्षद अपना भत्ता बढ़ाने के लिए गंभीर प्रयास कर रहे हैं। साउथ एमसीडी की हाल की बैठक में सत्ता पक्ष की सदस्य शिखा राय ने एक प्रस्ताव पेश किया था, जिसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। उन्होंने मेयर, डिप्टी मेयर, स्थायी समिति अध्यक्ष, नेता सदन, नेता विपक्ष का मीटिंग भत्ता 300 रुपये से बढ़ाकर 1000 हजार रुपये करने और हर माह जो अधिकतम 1000 तक ही हुआ करता था, उसे बढ़ाकर 15000 रुपये करने का प्रस्ताव पेश किया। पार्षदों का मीटिंग भत्ता भी 1000 रुपये और हर माह अधिकतम 10 हजार रुपये करने, कार्यालय खर्च और स्टेशनरी के लिए 6000 रुपये, कंप्यूटर ऑपरेटर के लिए 5000 रुपये के अलावा जलपान के लिए 5000 रुपये प्रतिमाह का प्रस्ताव पेश किया था।
इस मसले पर मेयर कमलजीत सहरावत से पूछा गया तो उनका कहना था कि हाउस ने प्रस्ताव पास कर दिया है, अब उसे आगे भेज दिया जाएगा। उसके पारित होने या न होने पर उन्होंने कोई प्रतिक्रया नहीं दी। लेकिन बताते हैं कि इस प्रस्ताव को लेकर साउथ एमसीडी के बीजेपी नेताओं ने खासी किरकिरी करवा ली है। उन्हें इस बात की जानकार हो चुकी है कि पार्षदों का भत्ता आदि बढ़ नहीं सकता है। साउथ एमसीडी के एक आला अधिकारी के अनुसार इस प्रस्ताव को दिल्ली सरकार के डायरेक्टर लोकल बॉडी को भेजा जाएगा, अगर वह चाहे तो इसे रद्दी की टोकरी में डाल सकते हैं। लेकिन अगर उनका मन माना तो वह इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार के पास भेजेंगे। इस बाबत केंद्र को डीएमसी एक्ट-2007 में संशोधन करना होगा, जिसके बाद ही उनका वेतन बढ़ सकता है।
एमसीडी के पूर्व निगम सचिव जयदेव तनेजा के अनुसार जब इस एक्ट में केंद्र ने संशोधन किया था, तब भी पार्षदों ने अपना वेतन-भत्ते आदि बढ़ाने की मांग केंद्र को भेजी थी, लेकिन तब भी उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई, जबकि उस वक्त बदलाव आसान था। वैसे भी पिछले कई सालों से एकीकृत निगम और अब तीनों निगमों के नेता जब-तब वेतन-भत्ते बढ़ाने की मांग करते रहे हैं, इसके बावजूद उन्हें एक बैठक का मात्र 300 रुपये भत्ता ही मिलता रहा है। जो अभी तक नहीं बढ़ा है। सूत्र यह भी बताते हैं कि प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी व अन्य नेताओं ने भी इस प्रस्ताव को लेकर कड़ी नाराजगी जताई है और एमसीडी नेताओं से पूछताछ कर उन्हें चेतावनी दी है कि आगे से ऐसे प्रस्ताव पारित करने से पहले उन्हें विश्वास में लिया जाए।
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