नए बिल आएंगे, पुराने बिल अभी भी अटके

रामेश्वर दयाल

दिल्ली विधानसभा का बजट सेशन आज से शुरू हो चुका है। संभावना जताई जा रही है कि इस सेशन में दिल्ली सरकार कुछ विधेयक (बिल) लाकर उसे पारित करेगी। लेकिन आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा पिछले शीतकालीन सेशन में पारित किए गए कई बिल अभी भी पास होने के लिए केंद्र सरकार के पास अटके पड़े हैं। सवाल उठ रहा है कि क्या सरकार की ओर से इस सेशन में भी पारित किए गए बिल फिर से केंद्र सरकार में फंस सकते हैं। संभावना जताई जा रही है कि सदन में बिलों को लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार में टकराव बढ़ सकता है।

दिल्ली सरकार ने विधानसभा के दिसंबर माह में हुए शीतकालीन सेशन में करीब 15 बिल पास किए थे। चूंकि दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश है, इसलिए नियमों के अनुसार एक बिल को छोड़कर बाकी सभी बिल केंद्र सरकार के पास पारित होने के लिए भेजे गए। लेकिन ये सभी बिल अभी तक केंद्र सरकार के पास ही फंसे हुए हैं और केंद्र ने इन्हें पारित कर दिल्ली सरकार के पास भेजने में अभी तक गंभीरता नहीं दिखाई है। उस वक्त जो बिल पास किए गए थे, उनमें वैट, स्कूलों के स्तर में सुधार, वेतन बढ़ोतरी मानदंड, सुरक्षा व्यवस्था आदि से जुड़े विधेयक शामिल थे। उस वक्त सरकार ने इन सभी को उपराज्यपाल नजीब जंग के पास पारित करने के लिए भेज दिया था। इनमें से सिर्फ वैट से जुड़े विधेयक के पारित करने के अलावा उपराज्यपाल ने बाकी सभी 14 बिलों को केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास अनुशंसा के लिए भेज दिया था। ये सभी विधेयक तभी से वहीं पर फंसे हुए है।

खास बात यह है कि इन बिलों को पारित कराने को लेकर दिल्ली सरकार ने कई बार केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ को पत्र लिखा था। लेकिन जब मामला नहीं बना तो उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने खुद गृह मंत्री से मुलाकात की और इन बिलों को पारित करने की गुजारिश की थी। गृह मंत्री से उन्हें उचित आश्वासन तो मिला लेकिन बिल पारित होकर नहीं आए। फिलहाल दिल्ली सरकार इन विधेयकों की बाट जोह रही है। अब आज से दिल्ली विधानसभा का बजट सेशन शुरू हो चुका है। जिसमें आप सरकार अपना बजट रखने के अलावा कुछ नए बिल भी पास कर सकती है। इनमें झुग्गी बस्तियों के लिए जमीन दिलाने की व्यवस्था के अलावा पानी बिजली से जुड़े बिल भी शामिल हो सकते हैं। लेकिन सवाल यही है कि इन बिलों को विधानसभा में पारित किए जाने के बावजूद वह लागू हो पाएंगे या नहीं। दिल्ली सरकार के प्रवक्ता के अनुसार केंद्र सरकार को दिल्ली और उसके निवासियों के हितों को ध्यान में रखते हुए हमारे बिल जल्द पारित कर देने चाहिए। उनका कहना है कि सरकार को इस मसले पर दरियादिली दिखानी चाहिए।

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