धोनी को टेस्ट क्रिकेट से अभी नहीं लेना चाहिए था संन्यास: गावसकर

सेंचुरियन
महान टेस्ट बल्लेबाज और टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सुनील गावसकर मानते हैं कि महेंद्र सिंह धोनी को टेस्ट क्रिकेट से अभी संन्यास नहीं लेना चाहिए था। लिटिल मास्टर के मुताबिक टीम इंडिया को टेस्ट क्रिकेट में अभी भी धोनी की जरूरत है। गावसकर ने यह बात सेंचुरियन टेस्ट के दौरान कॉमेंट्री करते हुए कही।

सेंचुरियन टेस्ट में भारत अपने नियमित विकेटकीपर ऋद्धिमान साहा के चोटिल हो जाने के कारण पार्थिव पटेल को मौका देना पड़ा। इस दौरे पर टीम के साथ बतौर दूसरे विकेटकीपर के रूप में साउथ अफ्रीका गए पार्थिव ने विकेटकीपिंग के दौरान अहम मौकों पर गलतियां कर दीं। पार्थिव ने इस टेस्ट की पहली पारी में हाशिम अमला का कैच तब टपकाया था, जब 30 रन पर बैटिंग कर रहे थे। इसके बाद अमला ने 82 रन बनाए। इसी तरह साउथ अफ्रीका की दूसरी पारी में उन्होंने डीन एल्गर का आसान सा कैच पकड़ने की कोशिश भी नहीं की। इसके बाद एल्गर ने 61 रन जोड़े।

इस तरह पार्थिव की ये दोनों गलतियां भारत को मैच में भारी पड़ गईं। पूर्व क्रिकेटर गावसकर मैच के दौरान पार्थिव की इन्हीं गलतियों की समीक्षा कर रहे थे और तब उन्होंने टेस्ट टीम में धोनी की उपयोगिता की बात कही। गावसकर ने कहा, ‘धोनी अभी और टेस्ट क्रिकेट खेल सकते थे, लेकिन कप्तानी के बोझ के चलते उन्होंने टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह दिया।’

उन्होंने कहा, ‘अगर धोनी खेलना चाहते तो वह आसानी से खेल सकते थे, मेरे विचार से उन पर कप्तानी का दबाव बहुच ज्यादा बढ़ गया था और इसलिए उन्होंने टेस्ट क्रिकेट छोड़ दी। अगर मैं उन्हें सलाह देता, तो यही बताता कि वह भले कप्तानी छोड़ देते, लेकिन बतौर विकेटकीपर बल्लेबाज टीम में रहते। ड्रेसिंग रूम में उनकी सलाह टीम के लिए बेहद कारगर होतीं। लेकिन शायद उन्होंने सोचा कि शायद खेल के एक प्रारूप को छोड़ देना ही बेहतर होगा।’

इस मौके पर गावसकर ने यह भी माना कि इस टेस्ट में भारत को साहा की कमी साफतौर पर खली। बता दें कि मांसपेशियों में खिंचाव आने के चलते टेस्ट विकेटकीपर के रूप में भारत की पहली चॉइस साहा अब पूरी सीरीज से बाहर हो गए हैं। बीसीसीआई ने तीसरे टेस्ट से पहले उनकी जगह दिनेश कार्तिक को बुलाया है। तमिलनाडु के इस विकेटकीपर बल्लेबाज जनवरी 2010 से भारत के लिए कोई टेस्ट मैच नहीं खेलना है।

पार्थिव के बारे में गावसकर ने कहा, ‘पार्थिव पटेल भी प्रतिस्पर्धी विकेटकीपर हैं और हम देख सकते हैं कि जब उनके हाथ में बैट होता है, तो वह बल्ले से रन बनाने में भी फाइटर की तरह अपना एटीट्यूड रखते हैं। भले ही विकेटकीपिंग के दौरान उनके साथ कुछ समस्या हो सकती है, लेकिन बतौर बैट्समैन वह अच्छा करते हैं।’ एल्गर के कैच छोड़ने पर प्रतिक्रिया देते हुए गावसकर ने कहा, ‘अगर आप उस कैच को लेने की कोशिश करते और तब वह छूट जाता तो इतना बुरा नहीं लगता, लेकिन जब आप उस कैच को पकड़ने के लिए गए ही नहीं तो यह देखकर निराशा होती है।’

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