धर्मांतरण रोकने को दलित बस्तियों के पास ‘डेरा’ डालेंगे संत
|विश्व हिंदू परिषद के युवा संतों ने तय किया है कि धर्म परिवर्तन रोकने के लिए दलित बस्तियों के आसपास आश्रम खोले जाएंगे। जहां-जहां छुआ-छूत की समस्या है, वहां बस्तियों में सामूहिक अनुष्ठान कराए जाएं। जहां कुछ पीढ़ियों पहले लोगों का धर्म बदलवाया गया है, उनको पूर्वजों की याद दिला वापसी कराई जा सकती है। ट्रिपल तलाक के बारे में हिंदू लड़कियों को जागरूक किया जाएगा, ताकि वे लव जिहाद में न फंसें।
पनकी में सोमवार से शुरू हुए अखिल भारतीय युवा संत चिंतन वर्ग में चार राज्यों के अलावा पूरे देश के संत हिस्सा ले रहे हैं। VHP के राष्ट्रीय मंत्री अशोक तिवारी के अनुसार, पहले दिन सामाजिक समरसता के अलावा जबरन धर्म परिवर्तन, घुसपैठ, आतंकवाद, लव जिहाद, मुस्लिम बहुविवाह से बढ़ती आबादी और आबादी के बिगड़ते संतुलन जैसे विषयों पर चर्चा हुई। सामाजिक समरसता के मुद्दे पर संतों ने कहा कि कहीं-कहीं छुआछूत अब भी कायम है। इसके लिए उन्हें स्वयं बस्तियों में जाना होगा। अछूत बताकर जिन बस्तियों में कोई नहीं जाता, वहां के लोगों के बीच संत सामूहिक अनुष्ठान करेंगे। समाज में किसी को अछूत नहीं रहना चाहिए। सभी ईश्वर का अंश हैं। संत खुद इसके लिए पहल करेंगे। वर्ग संघर्ष ठीक स्थिति नहीं है।
डर दूर करेंगे
संतों के बीच इस बात पर आम राय बनी कि धर्म परिवर्तन रोका जाए। धर्म परिवर्तन के मुख्य कारणों में अज्ञानता के अलावा लालच, भय और आतंक है। अस्पृश्यता भी इसका बड़ा कारण है। समाज में अज्ञानता और भय को दूर करना होगा। ऐसी बस्तियों के आसपास संत आश्रम खोलेंगे। वहां दलित बच्चों को रखकर उनकी पढ़ाई और भोजन का इंतजाम करना होगा। लोगों की समस्याएं है तो उन्हें दूर करना होगा। इसके अलावा जिन लोगों का धर्म पहले बदला है, उन्हें उनके पूर्वजों की याद दिलाकर घर वापसी कराई जा सकती है।
तीन तलाक पर करेंगे जागरूक
चिंतन वर्ग में ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर भी चर्चा हुई। इसमें तय किया गया कि लड़कियों को ट्रिपल तलाक के नुकसान के बारे में बताया जाएगा। ताकि वे लव जिहाद के चक्कर में न पड़ें। तिवारी ने बताया कि चिंतन के बाद युवा संत अपने-अपने क्षेत्रों में योजनाएं बनाएंगे और इसका क्रियान्वयन करेंगे। युवा संतों को ही भविष्य में नेतृत्व करना है। फिलहाल वीएचपी को नेतृत्व दे रहे संतों ने भी कभी ऐसे चिंतन किया था।
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