दुर्लभ खोजों के लिए यूरेनियम खदान में बनाई गई भूमिगत प्रयोगशाला का उद्घाटन
|पत्रकारों से बात करते हुए बसु ने कहा, ैहम ब्रमांड में मौजूद संभवत: 30 प्रतिशत तत्वों में अनुमानित 5 फीसदी के बारे में ही जानते हैं और यह नई सुविधा हमे इन्हीं अग्यात पदार्थों की खोज करने में मदद करेगी।ै
उन्होंने कहा कि हमने इस काम को शुरू कर दिया है लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि हम इसमें सफल होंगे। हालांकि, हम वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए क््रुमश: प्रगति कर रहे हैं।
प्रयोगशाला की स्थापना भारतीय यूरोनियम निगम और साहा परमाणु भौतिकी संस्थान, कोलकाता के द्वारा की गई है। 1992 की शुरुआत में कोलार कर्नाटक में भारत स्वर्ण खान में इसी तरह की सुविधा को बंद करने के बाद भारतीय यूरोनियम निगम की यह नयी भौतिकी प्रयोगशाला देश में अपनी तरह की पहली लैब होगी।
वर्तमान में जादुगुडा खान की गहराई 905 मीटर है। वर्तमान में संचालित होने वाली खानों में जादुगुड़ा, हुट्टी स्वर्ण खान के बाद दूसरी सबसे गहरी भूमिगत खान है। हुट्टी खान की गहराई 1000 मीटर से ज्यादा है।
परमाणु उर्जा विभाग की योजनाओं पर चर्चा करते हुए बसु ने कहा कि टाटा मेमोरियल अस्पताल के तर्ज पर चार कैंसर अस्पतालों को विकसित करने की विभाग की योजना है। जो कि दुनिया के बेहतरीन संस्थानों में से एक होने के साथ सस्ता भी होगा। यह अस्पताल विशाखापट्टनम, मोहाली, संगरूर और वाराणसी में बनारस हिंदू विविद्यालय में प्रस्तावित हैं।
परमाणु उुर्जा विभाग के चेयरमैन ने परमाणु उुर्जा के बारे में कहा कि 2030 तक विभाग की अतिरिक्त 14,000 मेगावाट बिजली उत्पादन की योजना है।
देश में यूरेनियम उत्पादन के बारे में जानकारी देते हुए भारतीय यूरोनियम निगम के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक सी के असनानी ने कहा कि निगम की योजना साल 2030 तक यूरेनियम उत्पादन की क्षमता को 10 गुना तक बढ़ाने की है।
भाषा पवन
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