दिवालिया हो गई थीं रश्मि देसाई:कार में सोना पड़ा; बिग बॉस गईं, वहां सुसाइड के ख्याल आए, सलमान ने समझाया, अब दूसरी इनिंग शुरू

टेलीविजन में बड़ा नाम रहीं रश्मि देसाई पिछले कुछ समय से इंडस्ट्री से गायब थीं। पिछले कुछ साल उनके लिए अच्छे नहीं रहे। आर्थिक और शारीरिक रूप से उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। रश्मि ने बताया कि एक वक्त पर वे दिवालिया (बैंकरप्ट) हो गई थीं। रहने को घर नहीं था। कार में सोना पड़ा था। पैसों के लिए बिग बॉस शो में गईं। वहां की जर्नी भी काफी मुश्किलभरी रही। वहां इतनी परेशान हो गईं कि सुसाइड के ख्याल आने लगे। शो के होस्ट सलमान खान के समझाने पर वे थोड़ी नॉर्मल हुईं। तमाम कठिनाइयों के बाद रश्मि देसाई ने दोबारा अपना करियर रीस्टार्ट किया है। वे इस साल एक गुजराती और हिंदी फिल्म में देखी गईं। संघर्ष से सफलता की कहानी, खुद उनकी जुबानी परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी मेरे परिवार की माली हालत ठीक नहीं थी। मां टीचर थीं, उनकी सैलरी 15 हजार रुपए थी। मां को मुझे और मेरे भाई को पालना था। इतने पैसे काफी नहीं थे। कभी-कभार खाने को भी लाले पड़ जाते थे। शायद इसी वजह से मैंने कम उम्र में ही कमाने का फैसला कर लिया। ऐसा नहीं है कि मुझे एक्टर बनना था। मुझे डांस कोरियोग्राफर या एयरहोस्टेस बनने का मन था। मैं सरोज खान और माधुरी दीक्षित की डांसिंग स्किल की दीवानी थी। हालांकि जब एक बार एक्टिंग का ऑफर आया, फिर इसी फील्ड में एडजस्ट हो गई। बाकी सारे सपने पीछे रह गए। इनकी भोजपुरी फिल्म को मिला नेशनल अवॉर्ड मैंने 2002 में असमी फिल्म कन्यादान से डेब्यू किया। इसके बाद दर्जनों भोजपुरी फिल्मों में काम किया। 2005 में मेरी एक भोजपुरी फिल्म ‘कब होई गवना हमार’ को बेस्ट भोजपुरी फीचर फिल्म का नेशनल अवॉर्ड मिला था। इस फिल्म की शूटिंग के वक्त मैं सिर्फ 20 साल की थी। मुझे उस वक्त ज्यादा कुछ समझ नहीं थी। सेट पर सिर्फ खाना खाने से मतलब होता था। इस फिल्म के बाद पहली बार मेरा इंटरव्यू हुआ था। टीवी शो से निकाली गईं 2006 के आस-पास मैंने टेलीविजन का रुख किया। करियर के शुरुआती दिनों की बात है, मैंने एक शो जॉइन किया। सब कुछ होने वाला था, तभी प्रोड्यूसर्स के पास किसी का फोन आया। वहां से कुछ बोला गया और मुझे शो से हटा दिया गया। मेरी जगह पर किसी और को कास्ट कर लिया गया। वह समय मेरे लिए काफी दुखदायी था। टेलीविजन में ही सिमटकर रह गईं मैं कई सीरियल्स में दिखी, लेकिन पहचान कलर्स टीवी पर आने वाले शो उतरन से मिली। उस सीरियल ने मुझे पॉपुलैरिटी दी। यह सीरियल 5 साल तक चला। पैसे भी आते थे। किसी चीज की कमी नहीं थी। हालांकि कुछ वक्त बाद एहसास हुआ कि मैं एक्सप्लोर नहीं कर पा रही हूं। मैंने टेलीविजन में लंबे समय तक एक कमिटमेंट वाला रोल किया। इसी वजह से वहां सिमटकर रह गई थी। बैंकरप्ट हुईं, रहने को छत नहीं 2017 का समय था। मेरे पैसे खत्म हो गए थे। करोड़ों का लोन हो गया था। बैंकरप्ट हो गई थी। पेट कैसे पालना है, यह भी समझ नहीं आ रहा था। मैंने अपनी पूरी लाइफ में बहुत पैसे कमाए, लेकिन इन्हें मैनेज नहीं कर पाई। मुझे उन पैसों से अपने लिए कुछ कर लेना चाहिए था। लोगों ने धोखा दिया, मेरे पैसे खा गए। एक समय ऐसा आया, जब मुझे चार दिन कार में सोना पड़ा। उस स्थिति में मेरी कार ही सबसे ज्यादा काम आई। पैसों के लिए बिग बॉस गईं, वहां सुसाइड के ख्याल आए पैसा ही सबसे बड़ा कारण था, जिसकी वजह से मैं बिग बॉस का हिस्सा बनी। उसके पहले मेरे पास पैसे आए थे, लेकिन घर खरीद लिया। मैं पैसों के लिए बिग बॉस का हिस्सा बन तो गई, लेकिन वहां सर्वाइव करना आसान नहीं रहा। शो में कई बार ऐसा हुआ कि मुझे सुसाइड तक के ख्याल आने लगे थे। मैं कई बार टूटी। मेरी चीजों का बहुत मजाक बनाया गया। भावनाओं के साथ खेला गया। बाहर काफी ट्रोलिंग हुई। मेरा मन बिल्कुल अशांत रहने लगा। फिर एक दिन वीकेंड वाले एपिसोड में सलमान सर ने मुझे समझाया। तब जाकर मुझे थोड़ी हिम्मत मिली। सलमान ने पिता जैसे सपोर्ट किया मैंने सलमान खान के साथ एक ऐड वीडियो में भी काम किया है। हालांकि मैं पब्लिकली उनके बारे में बात करना पसंद नहीं करती। बस इतना समझिए कि वे राजा आदमी हैं। लोगों के लिए बहुत करते हैं। उनसे जब भी बात होती है, हमेशा फ्यूचर को लेकर बात करते हैं। साथ ही हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। सलमान सर ने मेरे लिए जो किया है, वह मैं बता नहीं सकती। एक पिता जितना करते हैं, उतना ही सलमान सर ने मेरे लिए किया है। मां ने इससे भी ज्यादा स्ट्रगल किया मैंने अपनी मां को मुझसे भी ज्यादा स्ट्रगल करते देखा है। परेशानियों से कैसे लड़ते हैं, मैंने अपनी मां से सीखा है। पिता नहीं थे, मां ने ही सिंगल पेरेंट के तौर पर मुझे बड़ा किया। ऐसा नहीं था कि मैं उनके लिए कोई आसान चाइल्ड थी, मुझे झेलना ही उनके लिए बहुत मुश्किल होता था। मेरे मुकाबले भाई ज्यादा समझदार था। मैंने जीवन में इतनी परेशानियां झेली हैं, कोई दूसरा व्यक्ति अब तक खत्म हो गया रहता। शायद, यह मेरी मां की देन है कि मुझे उनके सामने अपनी परेशानियां भी कम लगती हैं। गुजराती और हिंदी फिल्मों से दमदार वापसी मैं ट्रैवल बहुत करती हूं। कुछ समय पहले की बात है। पहाड़ों पर सोलो ट्रिप के लिए गई थी। वहां मैंने पर्वतों से निकलने वाला पानी पी लिया। मुझे पेट में इन्फेक्शन हो गया। मैं 6-7 महीने के लिए बिल्कुल घर बैठ गई। शायद इसी वजह से मैं इन दिनों ज्यादा प्रोजेक्ट्स में नजर नहीं आई। मैं सिर्फ अपनी हेल्थ पर काम कर रही थी। अब दोबारा फिल्में कर रही हूं। मैंने हाल ही में एक गुजराती फिल्म में भी काम किया है। हिंदी भाषी भी इसे पसंद कर रहे हैं। वहीं पिछले महीने रिलीज फिल्म ‘हिसाब बराबर’ में भी आपने मुझे देखा। —————————- पिछले हफ्ते की सक्सेस स्टोरी यहां पढ़ें.. एक शो के 20-30 रुपए मिलते थे: कैंसर से गुजरीं पत्नी, सफलता नहीं देख पाईं कुछ तो गड़बड़ है दया…ये डायलॉग सुनते ही दिलों-दिमाग पर एक व्यक्ति की तस्वीर छप जाती है। एक ऐसा व्यक्ति जिन्हें लोग सच में CID का ऑफिसर समझने लगे थे। हम बात कर रहे हैं शिवाजी साटम की। वैसे तो इन्होंने दर्जनों हिंदी और मराठी फिल्मों में काम किया है, लेकिन इनकी असल पहचान CID के ACP प्रदुम्न के रोल से है। पूरी खबर पढ़ें..

बॉलीवुड | दैनिक भास्कर

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