दिल्ली हाई कोर्ट ने बीफ पर रोक की मांग करने संबंधी याचिका खारिज की

नई दिल्ली

दिल्ली हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में गोहत्या रोकने, गोमांस और इसी प्रकार के उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने संबंधी एक कानून लागू करने की मांग करने वाली जनहित याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यह एक विचार की ‘गलत व्याख्या’ है।

AAP सरकार ने अदालत को सूचित किया कि पशुधन की रक्षा के लिए पहले ही ‘दिल्ली कृषि पशुधन संरक्षण कानून’ है जिसके बाद मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति जयंत नाथ की एक पीठ ने याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया।

राज्य सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त स्थायी वकील संजय घोष ने दावा किया कि याचिका प्रचार पाने का हथकंडा है और इसे कड़ा दंड लगाते हुए खारिज कर दिया जाना चाहिए। घोष ने आगे कहा कि दिल्ली सरकार के पास पांच शेल्टर्स हैं जिनमें 23,000 मवेशी रखे जा सकते हैं। हालांकि अभी इन मवेशियों की संख्या 10,000 है। वकील ने कहा, ‘यदि याचिकाकर्ता के पास ऐसा कोई मवेशी है, तो वह इसे हमें भेज सकता है।’

दिल्ली सरकार के वकील की दलीलें सुनने के बाद बेंच ने कहा, ‘यह रिट याचिका एक गलत विचार है और इसे खारिज किया जाता है।’

सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि वह कानून लागू करने के लिए कोई आदेश जारी नहीं कर सकती और इस मामले में राज्य और केंद्र सरकार निर्णय ले सकती हैं।

कोर्ट ने कहा, ‘उन्हें इस मामले पर निर्णय लेने दीजिए। हम इस मामले में सुनवाई करने के लिए तैयार नहीं हैं।’ स्वामी सत्यानंद चक्रधारी ने याचिका दायर करके राज्य सरकार को यह आदेश दिए जाने की मांग की थी कि वह जम्मू-कश्मीर में लागू उस 1932 रणबीर आचार संहिता की तरह एक कानून लागू करे जिसके तहत गोहत्या और इस प्रकार के पशुओं की हत्या करने पर 10 साल तक के कारावास की सजा सुनाने के साथ-साथ जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

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