दिल्ली सरकार ने भी बांध रखे हैं केंद्र के हाथ , कई प्रॉजेक्ट राज्य की मंजूरी के मोहताज
|अपने कामों में एलजी की दखलंदाजी का हवाला देती आ रही दिल्ली सरकार ने केंद्र की नाक में भी दम कर रखा है। डीडीए के कई बड़े प्रॉजेक्ट दिल्ली सरकार की मंजूरी के इंतजार में फाइलों की धूल फांक रहे हैं, वहीं नगर निगमों के कई प्रस्ताव भी केजरीवाल सरकार के मोहताज रह गए हैं। चुनावी माहौल में अब बीजेपी भी इन कामों में देरी के लिए सीधे दिल्ली सरकार को जिम्मेदार ठहराने लगी है और सोशल मीडिया में भी इसका जोरशोर से प्रचार कर रही है।
डीडीए की महत्वाकांक्षी लैंड पूलिंग पॉलिसी करीब डेढ़ साल से बनकर तैयार है। इसे लागू करने के लिए जरूरी है कि दिल्ली सरकार का रेवेन्यू डिपार्टमेंट 95 गांवों को डिवेलपमेंट एरिया घोषित करे, लेकिन दिल्ली सरकार इस मांग पर अड़ी है कि लैंड पूलिंग में उसे कम से कम 12 पर्सेंट विकसित जमीन जन-सुविधाएं विकसित करने के लिए दी जाए। दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने बताया, ‘जमीन से ताल्लुक रखने वाले साउथ और नॉर्थ एमसीडी ने दो साल पहले ही 89 गांवों को शहरीकृत गांव घोषित करने का प्रस्ताव दिल्ली सरकार को भेज दिया था, जो आज तक उसे नोटिफाई नहीं कर पाई है। डीडीए की ओर से तैयार नक्शे को भी दिल्ली रेवेन्यू विभाग प्रमाणित नहीं कर रहा है।’ उनका कहना है कि इससे 20 लाख हाउसिंग यूनिटें बनाने में देरी हो रही है।
डीडीए की ट्रांजिट ओरिएंटेड डिवेलपमेंट (टीओडी) परियोजना भी दिल्ली सरकार की फाइलों में दबी पड़ी है। इसके तहत दिल्ली में हाई-राइज बिल्डिंगों के तहत ऑफिस, कमर्शियल कॉम्प्लेक्स, सिनेमा और मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट के कई प्रोजेक्ट प्रस्तावित हैं, लेकिन दिल्ली सरकार के पीडब्ल्यूडी मिनिस्टर सत्येंद्र जैन का कहना है कि इससे सिर्फ बिल्डरों का फायदा होगा, न कि स्थानीय लोगों को कोई मदद मिलेगी। ऐसे में दिल्ली सरकार इसे अपनी मंजूरी नहीं देगी। इसके तहत मेट्रो लाइन के आसपास की जमीनों को भी विकसित करने की योजना थी, लेकिन दिल्ली सरकार के दबाव में डीडीए ने उसे वापस ले लिया।
एमसीडी का दावा है कि फैक्टरी लाइसेंस खत्म करने की उसकी मुहिम को भी दिल्ली सरकार आगे नहीं बढ़ने दे रही है। निगमों ने अपने सदन में डीएमसी एक्ट 1957 में संशोधन का प्रस्ताव पास कर दिल्ली सरकार को भेजा था, जिसे केंद्र को फॉर्वर्ड किया जाना था। दिल्ली सरकार ने इसमें कई तकनीकी खामियों का हवाला देकर लौटा दिया। नॉर्थ एमसीडी के कमिश्नर पी के गुप्ता ने बताया कि निगम ने संबंधित खामियां दूर कर दोबारा फाइल दिल्ली सरकार के पास भेज दी थी। अब उसकी ओर से सिफारिश के बाद ही केंद्र एक्ट में संशोधन करेगा। निगम सूत्रों का कहना है कि निगम चुनाव में अपनी संभावनाएं देख रही आम आदमी पार्टी इसका क्रेडिट बीजेपी को नहीं देना चाहती।
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