दिल्ली विधानसभा में चल रहा है ‘तेरा बाप-मेरा बाप’
|दिल्ली विधानसभा का बजट सेशन आजकल हॉट बना हुआ है। वहां सत्ता पक्ष और विपक्षी सदस्य एक दूसरे के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं और एक-दूसरे को देख लेने की धमकियां दे रहे हैं। वैसे विपक्ष आरोप लगा रहा है कि सेशन में उसका हाल सबसे बुरा है। उसे बोलने नहीं दिया जा रह है और अगर बोलने का प्रयास किया जाता है तो मार्शलों के जरिए सदन से निकलवाया जा रहा है।
बजट सेशन में कल विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता, सदस्य ओपी शर्मा, जगदीश प्रधान ने राष्ट्रपति द्वारा सदस्यता से बर्खास्त किए गए मंत्री कैलाश गहलोत के सदन में बैठने पर सवाल उठाए। लेकिन अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने नियमों का हवाला देकर बता दिया कि उनका बैठना नियमों के खिलाफ नहीं है। इसके खिलाफ विपक्ष वॉकआउट कर गया। जब वे बाहर जा रहे थे तो सत्ता पक्ष के सदस्यों ने उन पर कुछ फब्तियां कसीं। लेकिन मामला आया-गया हो गया। कुछ देर बाद विपक्षी सदस्य सदन में आए तो सत्ता पक्ष के सदस्यों ने उन पर व्यंग्य कसा कि ये तो फिर आ गए। जिसके बाद सदन में माहौल गरमा गया। विपक्ष की ओर से कहा गया कि हम आएं या जाएं, इसमें किसी को क्या आपत्ति है। कुछ गर्मागर्मी बढ़ी तो सत्ता पक्ष की ओर से जुमला उछला कि क्या यहां तेरे बाप का राज है तो दूसरी ओर से भी कहा गया कि तो क्या तेरे बाप का राज है।
सत्ता पक्ष की ओर से ओपी शर्मा पर आरोप लगाए गए कि वह हमें पुलिस से पकड़ने की धमकी दे रहे हैं। शर्मा का कहना था कि जब तुम सदन में नकली मशीन लाते तो तो पुलिस पकड़ेगी ही। इसको लेकर सदन में देर तक हंगामा हुआ और अध्यक्ष गोयल ने पूरे सेशन के लिए शर्मा को मार्शलों द्वारा सदन से बाहर निकलवा दिया। विपक्षी सदस्यों ने इसका विरोध किया और उन्हें वापस बुलाने की मांग की। लेकिन न मानने पर वे सदन से एक बार फिर वॉकआउट कर गए। सदन में सतर्कता विभाग का मसला भी उठा और इस बात पर कड़ी आपत्ति जताई गई कि वह अपने यहां चल रहे लंबित मामलों की जानकारी नहीं दे रहा है। सत्ता पक्ष की ओर से बताया गया कि ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि उपराज्यपाल ने ऐसी जानकारी देने से सदन को इनकार कर दिया है। इस मसले पर सदन में उपराज्यपाल को खूब खरी-खोटी सुनाई गई। वैसे विधानसभा सचिवालय के नियमों के अनुसार संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों के मामले में सदन को विरोध में विचार नहीं जताने चाहिए। लेकिन सदन में उपराज्यपाल को देर तक निशाना बनाया गया और आरोप लगाया गया कि उपराज्यपाल दिल्ली सरकार के भ्रष्ट अफसरों को बचा रहे हैं। इस मसले पर विपक्षी सदस्य खासे आहत हैं। उनका कहना है कि सदन में उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। उन्हें किसी भी मसले को उठाने नहीं दिया जा रहा है। अगर वे उठाने का प्रयास करते हैं तो उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है।
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