दिल्ली ने मुंबई से छीना आर्थिक राजधानी का दर्जा
|अब तक हम मुंबई को देश की आर्थिक राजधानी कहते रहे हैं, लेकिन अब उससे यह दर्जा दिल्ली ने छीन लिया है। ऑक्सफोर्ड इकॉनमिक्स की ओर से कराए गए एक सर्वे में दुनिया के 50 मेट्रोपोलिन इकॉनमिक शहरों में दिल्ली को 30वां स्थान हासिल हुआ है, जबकि मुंबई एक पायदान नीचे यानी 31वें नंबर पर है। सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली ने अपने शहरी क्षेत्र का विस्तार किया है। गुड़गांव, नोएडा, गाजियाबाद और फरीदाबाद जैसे शहरों को मिलाकर दिल्ली-एनसीआर की जीडीपी 370 अरब डॉलर यानी करीब 25,164 अरब रुपये है।
वहीं देश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले शहर में मुंबई, नवी मुंबई, ठाणे, वसाई-विरार, भिवंडी और पनवेल को शामिल किया गया है। इन शहरों की संयुक्त जीडीपी 368 अरब डॉलर रही है। सर्वे में यह भी कहा गया है कि भविष्य में भी मुंबई देश की इकॉनमिक कैपिटल के तौर पर दिल्ली को पछाड़ पाएगी इस बात की संभावना नहीं है। ग्लोबल एयवाइजरी फर्म के अनुमान के मुताबिक 2030 में दोनों शहर दुनिया के बड़े आर्थिक केंद्रों में से एक होंगे। ऑक्सफोर्ड के अनुमान के मुताबिक 2030 में दिल्ली का स्थान 11वां और मुंबई का 14वां होगा।
हालांकि मुंबई की आबादी एनसीआर की तुलना में कम है, इस लिहाज से प्रति व्यक्ति आय के मामले में वह दिल्ली से आगे है। हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के विश्लेषण के मुताबिक मुंबई की प्रति व्यक्ति जीडीपी 16,881 डॉलर है, जबकि दिल्ली की 15,745 डॉलर है। टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज से जुड़े प्रफेसर बिनो पॉल ने कहा कि उदारीकरण के बाद एनसीआर ने फिजिकल और सोशल इन्फ्रास्ट्रक्चर के मामले में मुंबई को पीछे छोड़ दिया है।
दिल्ली के मुकाबले मुंबई के पिछड़ने को लेकर पॉल कहते हैं कि एनसीआर को सरकार और बिजनस के साथ होने का लाभ मिला है। दिल्ली में रहने से किसी भी बिजनस को केंद्र सरकार से मंजूरी के लिए आसानी रहती है। इकॉनमिक्स की प्रफेसर संगीता कामदार भी मानती हैं कि दिल्ली ने मुंबई को पीछे छोड़ दिया है। वह कहती हैं कि किसी भी बिजनस को क्लियरेंस लेने के लिए मुंबई की बजाय दिल्ली आसान पड़ता है, जो कि केंद्र सरकार के नजदीक है।
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