दिल्ली के बाहर खर्च किया गया है विज्ञापनों का पैसा: कैग रिपोर्ट

नई दिल्ली
दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा खर्च की गई राशि पर सवाल खड़े करने वाली सीएजी की रिपोर्ट पर आगामी दिनों में हंगामा बढ़ने के आसार हैं। इस रिपोर्ट में सरकार द्वारा फ्लाइओवरों के निर्माण पर करोड़ों की धनराशि बचाने के दावे पर सवाल खड़े किए गए हैं साथ ही विज्ञापनों पर दिल्ली के बाहर हुए खर्चे को भी घेरे में लिया गया है। वैसे सरकार दावा कर रही है कि यह रिपोर्ट उस तक नहीं पहुंची है, लेकिन सीएजी का कहना है कि वह इस रिपोर्ट को सरकार तक पहुंचा चुकी है।

सूत्र बताते हैं कि सीएजी रिपोर्ट में इस बात पर गहरी आपत्ति दर्ज की गई है कि केजरीवाल सरकार के नाम से व्यापक अभियान चलाया गया, जिसका उद्देश्य था कि व्यक्ति विशेष को निजी रूप अथवा राजनैतिक पार्टी को प्रचार का लाभ पहुंचाया जाए। इस प्रकार के विज्ञापनों पर 24.29 करोड़ रुपये खर्च किए गए। इसके अलावा सरकार ने एक विशेष अभियान पर 33.40 करोड़ रुपये खर्च किए, जिसमें से इस खर्च का करीब 85 प्रतिशत भाग दिल्ली से बाहर खर्च किया गया। सीएजी की आपत्ति है कि विज्ञापनों आदि पर दिल्ली से बाहर खर्च करना दिल्ली सरकार की जिम्मेदारी से बाहर है।

मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार सीएजी के मीडिया अडवाइजर बीएस चौहान का कहना है कि विभाग की ओर से 22 अगस्त को उपराज्यपाल नजीब जंग व दिल्ली सरकार के प्रिंसिपल सेक्रटरी (फाइनैंस) को यह रिपोर्ट उपलब्ध करा दी गई है। इसी मसले पर बुधवार को दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने सरकार से मांग की कि वह सदन में सीएजी की रिपोर्ट पेश करे, साथ ही उस पर चर्चा भी करे। इस मसले पर सदन में करीब आधा घंटे तक खासा हंगामा हुआ।

सरकार का 350 करोड़ बचाने का दावा
सूत्र बताते हैं कि सीएजी की इस रिपोर्ट में सरकारी विभागों द्वारा खर्च की गई धनराशि पर कई सवाल खड़े किए गए हैं और यह भी बताया गया है कि जो राशि जिस में खर्च की जानी थी, उसे दूसरे मदों में खर्च किया गया। सीएजी की रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया है कि दिल्ली सरकार ने अपने तीन फ्लाइओवरों के निर्माण पर करीब 350 करोड़ रुपये बचाए, लेकिन जब सीएजी ने इस बात की लोकनिर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) से रिपोर्ट मांगी तो उससे इस बात की पुष्टि नहीं हुई।

रिपोर्ट के अनुसार सरकार के इस दावे की भी जांच की गई, जिसमें उसने जानकारी दी थी कि सरकारी डिस्पेंसरियों पर पहले पांच करोड़ रुपये खर्च होते थे, जिस पर अब खर्च घटाकर 20 लाख रुपये कर दिया गया है। लेकिन जब स्वास्थ्य विभाग से पूछा गया तो उसका कहना था कि वर्ष 2015-16 में कोई डिस्पेंसरी ही नहीं बनाई गई।

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