‘दलित छात्र से कुत्ते की मालिश करवाते थे साहब’
|यहां के एक स्कूल में दलित छात्र के उत्पीड़न का मामला सामने आया है। समाज कल्याण विभाग की सहायता से आश्रम पद्धति पर चलने वाले स्कूल में पढ़ रहे 14 साल के छात्र के मालिश करने के हुनर से खुश होकर स्कूल अधीक्षक ने उसे सीनियर अधिकारी के यहां गाजियाबाद भेज दिया।
पीड़ित छात्र का आरोप है कि उसे फ्लैट पर बंधुआ मजदूर के रूप में शौचालय साफ करना पड़ता था। साहब के कुत्तों की मालिश करनी पड़ती थी। वह करीब सवा महीने बाद किसी तरह वहां से भागकर अपने घर आगरा पहुंचा। पूरे मामले की शिकायत जिलाधिकारी से की गई है। वहीं, आरोपी अधिकारी का कहना है कि उनका गाजियाबाद में तो कोई फ्लैट ही नहीं है।
मिली जानकारी के अनुसार आगरा के सैंया ब्लॉक के सिंकदरपुर गांव का एक किशोर राजकीय स्वच्छकार आश्रम पद्धति विद्यालय इटौरा में 10वीं कक्षा का छात्र है। पीड़ित छात्र के पिता नाई का काम करते हैं। पीड़ित छात्र का कहना है कि वह मालिश का काम जानता है। छात्र का आरोप है कि स्कूल अधीक्षक खुद अपनी मालिश करवाते रहे और फिर आगरा के जिला समाज कल्याण अधिकारी के गाजियाबाद वाले फ्लैट पर लेकर गए। उसे वहां छोड़कर स्कूल अधीक्षक वापस आगरा लौट आए। पीड़ित छात्र ने बताया है कि गाजियाबाद स्थित अधिकारी के फ्लैट पर उससे घर का पूरा काम करवाया जाता था। यहीं नहीं कुत्तों को नहलाने और उनके बालों में कंघी करने का काम भी उसी से कराया जाता था।
छात्र का आरोप है कि अधिकारी के घर पर उसे पेट भर खाना भी नहीं दिया जाता था। पूरे घर का काम करने के बदले में कोई मेहनताना भी नहीं दिया जाता था। सुबह 6 बजे से लेकर देर रात तक उससे काम कराया जाता था। मौका मिलते ही घर का कचरा फेंकने के बहाने वह फ्लैट से भागकर दिल्ली और फिर वहां से किसी तरह आगरा आ पहुंचा। छात्र ने पूरा घटनाक्रम अपने परिजनों को बताया तो उन्होंने मामले की शिकायत स्कूल प्रशासन और उप निदेशक समाज कल्याण से की, लेकिन दोनों ही जगह से कोई कार्रवाई नहीं हुई।
एक सामाजिक संस्था ‘महफूज’ के नरेश पारस ने उसकी आपबीती सुनी और वह परिजनों के साथ छात्र को लेकर एडीएम सिटी के पास पहुंचे। उन्होंने एक शिकायती पत्र देकर पूरे मामले की जांच की मांग की। एडीएम सिटी केपी सिंह का कहना है कि छात्र के आरोपों की जांच की जा रही है। मामले में तथ्य प्रकाश में आने पर संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की जाएगी। छात्र और उसके परिजनों ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और मुख्यमंत्री के जनसुनवाई पोर्टल पर भी अपनी शिकायत दर्ज कराई है।
दूसरी तरफ, आरोपी अधिकारी का कहना है कि उनका गाजियाबाद में कोई फ्लैट ही नहीं है। उनका कहना है कि वह ऐसे किसी बच्चे को नहीं जानते हैं। पूरा प्रकरण वहां के ठेकेदार का किया धरा है, क्योंकि उसका पेमेंट रोक दिया गया है। वहीं, नरेश पारस ने बताया है कि शिकायत करने के बाद पीड़ित किशोर के परिजनों को धमकियां मिलना शुरू हो गई हैं। गुरुवार को पीड़ित की मां आगरा के एसएसपी के पास एफआईआर दर्ज कराने गई थी, लेकिन एसएसपी ने कह दिया है कि एडीएम सिटी पहले से ही इस मामले की जांच कर रहे हैं। जांच पूरी होने के बाद ही रिपोर्ट दर्ज की जाएगी।
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