दम है कितना दमन में तेरे..
|जेएनयू की आवाज आज जंतर-मंतर तक गूंजी। कॉमरेड कन्हैया से लेकर रोहित वेमूला का शोर स्टूडेंट्स के साथ-साथ एक्टिविस्ट, आर्टिस्ट, प्रोफेसर्स और मजदूरों के गले से निकला। मंडी हाउस से लेकर जंतर-मंतर तक निकले इस सिटिजंस मार्च में करीब 3 हजार से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया। डीयू, जामिया, आंबेडकर यूनिवर्सिटी, आईआईटी, एसएयू, एफटीआईआई से भी स्टूडेंट्स पहुंचे। जेएनयू स्टूडेंट्स उन मीडिया जर्नलिस्ट को गुलाब के फूल भी दे रहे थे, जिन्होंने इस पूरे आंदोलन के दौरान जेएनयू को एंटी नैशनल कहा है। इलाहाबाद, पुणे, हैदराबाद से पहुंचे : जेएनयू स्टूडेंट्स यूनियन की आवाज पर इस ‘जेएनयू सॉलिडैरिटी मार्च’ में दिल्ली से ही नहीं आसपास के कई इलाकों और राज्यों से यहां लोग पहुंचे थे। इलाहाबाद, अलीगढ़, लखनऊ, हैदराबाद समेत कई शहरों से यहां स्टूडेंट्स पहुंचे। गुरुवार 2 बजे से ही स्टूडेंट्स ने इस प्रोटेस्ट मार्च के लिए पहुंचना शुरू कर दिया था। ‘कॉमरेड कन्हैया को रिहा करो’, ‘दिल्ली पुलिस जेएनयू से वापस जाओ’, ‘जेएनयू के साथ हर आवाज’…जैसे कई नारों के साथ बाराखंभा रोड से लोग रवाना हुए। मार्च में मौजूद एक लॉ फर्म में काम करने वाले सौरभ बनर्जी ने कहा, मैं 90 के दौर में जेएनयू का हिस्सा बना और वहां पहुंचकर लगा कि दुनिया को आजाद नजर से कैसे देखा जाए। जेएनयू को एंटी नैशनल कहने वाले पहले देखें कि खुद से अलग हटकर सोसायटी के लिए उनके विचार क्या हैं? राष्ट्रवाद का मतलब भारत का झंडा लहराना नहीं, बल्कि हर सिटीजन की इज्जत करना है और डेमोक्रेटिक ढंग से सोचना है। छाया रहा ‘मेरा यार कन्हैया’ : स्टूडेंट्स ने जेएनयूएसयू के प्रेजिडेंट कन्हैया कुमार की रिहाई के लिए अलग-अलग ढंग से सपोर्ट किया। कई लोगों ने ‘मेरा यार कन्हैया’ वाली शर्ट पहनकर, तो कुछ ने कन्हैया वाली कैप पहनकर, कुछ ने कन्हैया के नारे अपने चेहरे पर लिखकर मार्च किया। ‘दम है कितना दमन में तेरे, जगह है कितनी जेल में तेरे, देख लेंगे’ नारों के साथ करीब 10 बसें भरकर स्टूडेंट्स मार्च के लिए पहुंचे। बाराखंभा रोड से जंतर-मंतर की ओर बढ़ते इस मार्च को भारी पुलिस बल ने पार्लियामेंट स्ट्रीट की ओर डाइवर्ट किया। स्वरा भास्कर का भी सपोर्ट मिला : ‘राष्ट्रवाद नहीं, गुंडागर्दी’, इस सोच के साथ जेएनयू की एलुमनी स्वरा भास्कर भी यहां पहुंची। लेफ्ट नेता डी. राजा और बृंदा करात ने भी यहां पहुंचकर लोगों को अपना सपोर्ट दिया। एफटीआईआई एलुमनी डॉक्युमेंट्री फिल्ममेंकर, आर्टिस्ट भी कई पोस्टर्स के साथ इस प्रोटेस्ट में थे।
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