थोक महंगाई 17वें महीने भी शून्य से नीचे, मार्च में शून्य से 0.85% कम
|थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति लगातार 17वें महीने मार्च में भी शून्य से नीचे रही और खासकर दाल-दलहनों सहित कुछ खाद्य उत्पादों में तेजी के चलते आलोच्य माह में हल्की चढ़कर शून्य से 0.85 प्रतिशत नीचे रही।
थोक मुद्रास्फीति फरवरी में शून्य से 0.91 प्रतिशत नीचे और पिछले साल मार्च में यह शून्य से 2.33 प्रतिशत नीचे थी। नवंबर 2014 से थोक मुद्रास्फीति शून्य से नीचे है। थोक मूल्य सूचकांक पर आधारिज सोमवार को जारी ताजा आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार मार्च में खाद्य मुद्रास्फीति बढ़कर 3.73 प्रतिशत रही। फरवरी में यह 3.35 प्रतिशत थी। मार्च में सब्जियों के थोक दाम सालाना आधार पर 2.26 प्रतिशत नीचे रहे जबकि दाल दलहन के भाव 34.45 प्रतिशत ऊंचे बताए गए। इस दौरान प्याज और फलों की कीमत घटी इनसे संबंधित मूल्य सूचकांकों में क्रमश: 17.65 प्रतिशत और 2.13 प्रतिशत की कमी आई।
मार्च में ईंधन एवं ऊर्जा खंड में मुद्रास्फीति शून्य से 8.30 प्रतिशत नीचे और मैन्युफैक्चर्ड प्रॉडक्ट्स की मंहगाई दर मार्च में शून्य से 0.13 प्रतिशत से कम रही। जनवरी की थोकमूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति को संशोधित कर शून्य से 1.07 प्रतिशत नीचे कर दिया गया जो अस्थाई अनुमान के मुताबिक शून्य से 0.90 प्रतिशत कम थी। रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति का रुख तय करते हुए मुख्य तौर पर खुदरा मूल्य आधारित मुद्रास्फीति के आंकड़े पर नजर रखता है। खुदरा
मुद्रास्फीति मार्च में घटकर छह प्रतिशत के न्यूनतम स्तर 4.83 प्रतिशत पर आ गई। आरबीआई ने इस महीने अपनी नीतिगत ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की और अनुमान जताया कि चालू वित्त वर्ष के दौरान खुदरा मुद्रास्फीति करीब पांच प्रतिशत रहेगी।
उद्योग जगत ने नीतिगत ब्याज दर में और कटौती की वकालत की थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति के लगातार नकारात्मक बने रहने के बीच उद्योग जगत ने भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत ब्याज दरों में और कमी की वकालत की। उद्योग मंडल सीआईआई का कहना है कि मॉनसून सामान्य रहने के अनुमान, वैश्विक जिंस कीमतों में नरमी तथा अनुकूल सरकारी नीतियों के मद्देनजर भविष्य में मुद्रास्फीति में वृद्धि का दबाव नहीं होना चाहिए।
इसने एक बयान में कहा है, ‘इससे भारतीय रिजर्व बैंक के लिए मौद्रिक नीति को लेकर नरमी का अपना रुख बनाए रखने की गुंजाइश बनेगी। साथ ही मौजूदा साल में नीतिगत ब्याज दरों में और नरमी की राह खुलेगी।’ इसी तरह उद्योग मंडल फिक्की ने भी मॉनसून सामान्य रहने के पूर्वानुमानों सहित अन्य कारकों का हवाला देते हुए नीतिगत ब्याज दरों में और कटौती की गुंजाइश बताई है।
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