तेंदुलकर ने बताया- स्लिप में खड़े रहकर धोनी के क्रिकेट स्किल को पहचाना था और बीसीसीआई को कहा, यह इंडिया का अगला कैप्टन है

फर्स्ट स्लिप में खड़े होकर और महेंद्र सिंह धोनी के मैच रीडिंग स्किल को देखकर सचिन तेंदुलकर को यकीन हो गया था कि वे भारत का कैप्टन बनने के लिए तैयार हैं। जब बीसीसीआई ने 2007 में टी-20 वर्ल्ड कप के दौरान सचिन से सलाह मांगी, तब उन्होंने बीसीसीआई से कुछ ऐसा ही कहा था और धोनी के नाम का सुझाव दिया था। टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने एक दिन पहले यानी 15 अगस्त को इंटरनेशनल क्रिकेट से रिटायर होने की घोषणा की थी।

तेंदुलकर, सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ ने उस साल पहले टी-20 वर्ल्ड कप में जूनियर खिलाड़ियों को मौका देने का फैसला किया था। तब बीसीसीआई ने उनसे अपनी पसंद बताने के लिए कहा था। तेंदुलकर ने हाल ही में संन्यास लेने वाले पूर्व इंडियन कैप्टन के बारे में पीटीआई को दिए इंटरव्यू में कहा, ‘‘मैं इसके विस्तार में नहीं जाऊंगा कि यह कैसे हुआ, लेकिन हां, जब मुझसे बीसीसीआई के अधिकारियों ने मुझसे पूछा तब मैंने कहा था कि मैं क्या सोचता हूं।’’

‘‘मैंने उनसे कहा था कि मैं साउथ अफ्रीका टूर पर नहीं जा रहा, क्योंकि तब मैं कुछ चोट की वजह से परेशान था। लेकिन तब मैं स्लिप कॉर्डन में फिल्डिंग करता था और धोनी से बात करता रहता था। तब मैं समझा कि वह क्या सोच रहा है, फिल्डिंग और सभी पहलुओं पर मैं उससे बात करता था।’’

‘धोनी को अगला कैप्टन बनाया जाना चाहिए’

‘‘मैंने उसकी मैच रीडिंग क्षमता देखी और इस नतीजे पर पहुंचा कि उसे क्रिकेट को लेकर अच्छी समझ है। इसलिए मैंने बोर्ड को सुझाव दिया कि मैं क्या सोचता हूं। धोनी को अगला कैप्टन बनाया जाना चाहिए।’’ तेंदुलकर ने कहा कि वे धोनी की अपने किसी भी फैसले के लिए किसी को मनाने की क्षमता से प्रभावित थे।

‘‘मैं जो भी सोच रहा था और वह जो भी सोचता था, दोनों काफी हद तक मिलती-जुलती थी। अगर मैं आपको किसी बात के लिए मना लेता हूं तो हमारी राय एक जैसा हो जाएगी और एमएस के साथ बिल्कुल यही बात थी। हम दोनों एक जैसे सोचते थे, इसलिए मैंने उनके नाम का सुझाव दिया।’’

‘मैं कप्तानी नहीं चाहता था’

2008 में जब धोनी को टेस्ट की कप्तानी सौंपी गई, तब भारतीय टीम में तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण, वीरेंद्र सहवाग, हरभजन सिंह और जहीर खान जैसे सीनियर क्रिकेटर थे। धोनी ने सीनियर खिलाड़ियों को कैसे हैंडल किया, इसके जवाब में तेंदुलकर ने कहा, ‘‘मैं केवल अपनी बात कर सकता हूं। मुझे कैप्टन बनने में कोई दिलचस्पी नहीं थी। मैं आपसे कह सकता हूं कि मैं कप्तानी नहीं चाहता था। मैं टीम के लिए केवल मैच जीतना चाहता था।’’

धोनी को सलाह देना मेरा कर्तव्य: तेंदुलकर

‘‘कैप्टन कोई भी हो मैं हमेशा अपना शत प्रतिशत देना चाहता था। मैं जो भी अच्छा सोचता, उसे कैप्टन के सामने रखता। अंतिम फैसला कैप्टन का होता। लेकिन, उसके कार्यभार को कम करना हमारा कर्तव्य बन जाता है। धोनी को सलाह देना उनका कर्तव्य था और अंतिम फैसला लेने के लिए कैप्टन आजाद था। अगर हर व्यक्ति अपनी क्षमताओं से योगदान देता है को कैप्टन का लोड भी कम हो जाता है। असली मकसद एक-दूसरे की मदद करना था।’’

‘‘एमएस 2008 में जब टेस्ट कैप्टन बना तब मैं इंटरनेशनल क्रिकेट में 19 साल बीता चुका था। इतने लंबे समय तक खेलने के बाद मैं अपनी जिम्मेदारी को समझता था। वह मुझे अपना बड़ा भाई मानता था और यह मेरा कर्तव्य था कि मैं उसे गाइड करूं और बताऊं कि मैं क्या महसूस करता हूं। वह हमेशा मेरी बातें ध्यान से सुनता था।’’

धोनी ने रोहित शर्मा और कई खिलाड़ियों पर भरोसा जताया

टेस्ट और वनडे में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले तेंदुलकर को लगता है कि धोनी का सबसे बड़ा योगदान उन खिलाड़ियों को आत्मविश्वास दिलाना था, जिन पर वह विश्वास करते थे। रोहित शर्मा का ओपनर बैट्समैन के रूप में उभरना और टीम के अहम ऑलराउंडर के रूप में रवींद्र जडेजा का सामने आना इसमें शामिल है।

‘‘मुझे लगता है कि किसी भी खिलाड़ी के लिए उसकी क्षमताओं में कैप्टन का विश्वास होने से बड़ा अंतर होता है। यह सिर्फ इस पीढ़ी के लिए नहीं, बल्कि सभी पीढ़ियों के खिलाड़ियों को समर्थन की जरूरत है। एमएस ने टीम के कई खिलाड़ियों पर विश्वास जताया और निसंदेह इससे काफी मदद मिली।’’

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सचिन ने कहा- धोनी अपने फैसले से किसी को भी मनाने में माहिर थे। वे उनके इस क्षमता से बेहद प्रभावित थे। (फाइल फोटो)

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