तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन की हालत नाजुक:बहन खुर्शीद बोलीं- मेरा भाई बहुत बीमार, उनके लिए दुआ करें; सैन फ्रांसिस्को के अस्पताल में भर्ती हैं
|विश्व विख्यात तबला वादक और पद्म विभूषण उस्ताद जाकिर हुसैन की हालत नाजुक है। उन्हें हाई ब्लड प्रेशर की परेशानी है। वे सैन फ्रांसिस्को के अस्पताल में आईसीयू में भर्ती हैं। रविवार को पहले उनके निधन की खबर सामने आई थी, जिसे जाकिर की बहन खुर्शीद औलिया ने खारिज किया है। उन्होंने पीटीआई से कहा, ‘भाई की हालत बहुत गंभीर है, उनकी सांसें बहुत तेज चल रही हैं। हम भारत और दुनिया भर में उनके प्रशंसकों से उनके लिए प्रार्थना करने के लिए कह रहे हैं।’ खुर्शीद ने कहा- मैं सभी मीडिया से अनुरोध करना चाहती हूं कि जाकिर के निधन के बारे में गलत जानकारी पर ध्यान न दें। उसकी हालत बहुत गंभीर है, लेकिन वे हमारे साथ हैं, वे जिंदा हैं। फेसबुक पर उनके निधन की खबरें देखकर मुझे बहुत बुरा लग रहा है। ये बहुत गलत है। संगीतकार जोड़ी सलीम-सुलेमान के सलीम मर्चेंट ने दैनिक भास्कर रिपोर्टर अमित कर्ण से कहा- उस्ताद की हालत गंभीर है, लेकिन उनके निधन की खबर गलत है। उनका परिवार अमेरिका में है। मैं उनके काफी क्लोज हूं। ऐसी सूचना नहीं आई है। उस्ताद के भांजे अमीर औलिया की आईडी से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट की गई कि जाकिर हुसैन के निधन की खबरें गलत चल रही हैं। ऐसी खबर हटाई जाएं और उनके स्वस्थ होने के लिए प्रार्थना करें। हालांकि यह अकाउंट वेरिफाइड नहीं है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने पहले निधन की सूचना दी, फिर पोस्ट डिलीट किया जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ था। उनको 1988 में पद्म श्री, 2002 में पद्म भूषण 2023 में पद्म विभूषण से नवाजा गया था। उस्ताद को 4 ग्रैमी अवॉर्ड भी मिल चुके है, इनमें तीन एक साथ मिले थे। उनके पिता का नाम उस्ताद अल्लाह रक्खा कुरैशी और मां का नाम बीवी बेगम था। जाकिर के पिता अल्लाह रक्खा भी तबला वादक थे। जाकिर हुसैन की प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के माहिम स्थित सेंट माइकल स्कूल से हुई थी। जबकि उन्होंने ग्रेजुएशन मुंबई के ही सेंट जेवियर्स कॉलेज से किया था। जाकिर हुसैन ने सिर्फ 11 साल की उम्र में अमेरिका में पहला कॉन्सर्ट किया था। 1973 में उन्होंने अपना पहला एल्बम ‘लिविंग इन द मैटेरियल वर्ल्ड’ लॉन्च किया था। सपाट जगह देखकर उंगलियों से धुन बजाने लगते थे उस्ताद जाकिर हुसैन जाकिर हुसैन के अंदर बचपन से ही धुन बजाने का हुनर था। वे कोई भी सपाट जगह देखकर उंगलियों से धुन बजाने लगते थे। यहां तक कि किचन में बर्तनों को भी नहीं छोड़ते थे। तवा, हांडी और थाली, जो भी मिलता उस पर हाथ फेरने लगते थे। तबले को अपनी गोद में रखते थे जाकिर हुसैन शुरुआती दिनों में उस्ताद जाकिर हुसैन ट्रेन में यात्रा करते थे। पैसों की कमी की वजह से जनरल कोच में चढ़ जाते थे। सीट न मिलने पर फर्श पर अखबार बिछाकर सो जाते थे। इस दौरान तबले पर किसी का पैर न लगे, इसलिए उसे अपनी गोद में लेकर सो जाते थे। 12 साल की उम्र में 5 रुपए मिले, जिसकी कीमत सबसे ज्यादा रही जब जाकिर हुसैन 12 साल के थे तब अपने पिता के साथ एक कॉन्सर्ट में गए थे। उस कॉन्सर्ट में पंडित रविशंकर, उस्ताद अली अकबर खान, बिस्मिल्लाह खान, पंडित शांता प्रसाद और पंडित किशन महाराज जैसे संगीत की दुनिया के दिग्गज पहुंचे थे। जाकिर हुसैन अपने पिता के साथ स्टेज पर गए। परफॉर्मेंस खत्म होने के बाद जाकिर को 5 रुपए मिले थे। एक इंटरव्यू में उन्होंने इस बात का जिक्र करते हुए कहा था- मैंने अपने जीवन में बहुत पैसे कमाए, लेकिन वो 5 रुपए सबसे ज्यादा कीमती थे। जाकिर हुसैन का सम्मान अमेरिका भी करता है जाकिर हुसैन का सम्मान दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका भी करता है। 2016 में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उन्हें ऑल स्टार ग्लोबल कॉन्सर्ट में भाग लेने के लिए व्हाइट हाउस में आमंत्रित किया था। जाकिर हुसैन पहले इंडियन म्यूजिशियन थे, जिन्हें यह इनविटेशन मिला था। शशि कपूर के साथ हॉलीवुड मूवी में एक्टिंग की जाकिर हुसैन ने कुछ फिल्मों में एक्टिंग भी की है। उन्होंने 1983 की एक ब्रिटिश फिल्म हीट एंड डस्ट से डेब्यू किया था। इस फिल्म में शशि कपूर ने भी काम किया था। जाकिर हुसैन ने 1998 की एक फिल्म साज में भी काम किया था। इस फिल्म में उनके अपोजिट शबाना आजमी थीं। जाकिर हुसैन ने इस फिल्म में शबाना के प्रेमी का किरदार निभाया था। जाकिर हुसैन को फिल्म मुगल ए आजम (1960) में सलीम के छोटे भाई का रोल भी ऑफर हुआ था, लेकिन पिता को उस वक्त यह मंजूर नहीं था। वे चाहते थे कि उनका बेटा संगीत पर ही ध्यान दे।