डोकलाम से भारतीय सेना के हटने तक सीमा को लेकर कोई बातचीत नहीं हो सकती: चीनी मीडिया

पेइचिंग
सिक्किम सेक्टर में जारी गतिरोध के बीच चीन के सरकारी मीडिया ने एक बार फिर कहा है कि जब तक भारत अपनी सेना को पीछे नहीं हटाता, तब तक सीमा मुद्दे पर कोई कोई बात नहीं होगी। चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक चीन की मांग पर भारत द्वारा ‘कान बंद करने’ से स्थिति और खराब होगी।

बता दें कि भारतीय विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा था कि सिक्किम सेक्टर में जारी गतिरोध के हल के लिए दोनों देशों के बीच डिप्लोमैटिक चैनल्स ‘उपलब्ध’ हैं। हालांकि शिन्हुआ ने भारत के दावे को खारिज करते हुए कहा है कि जब तक भारतीय सेना डोकलाम में पीछे नहीं हटती तब तक बातचीत की कोई गुंजाइश नहीं है।

शिन्हुआ ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है, ‘चीन ने यह साफ कर दिया है कि इस घटना पर बातचीत की कोई गुंजाइश नहीं बची है और भारत को डोकलाम में चीनी सीमा में घुसे अपने सैनिकों को वापस बुलाना होगा। चीन के लिए बॉर्डर लाइन ही बॉटम लाइन है।’ रिपोर्ट में आगे लिखा है, ‘चीन समस्या का शांतिपूर्ण और कूटनीतिक तरीकों से समाधान चाहता है और चीन ने सीमावर्ती इलाकों में शांति भी बनाए रखी है लेकिन बातचीत के लिए पूर्व शर्त यह है कि भारत को बिना शर्त अपने सैनिकों को वापस बुलाना होगा।’

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि सैनिकों को वापस बुलाने की चीन की मांग पर ‘कान मूंदने’ से भारत महीने भर से चल रहे गतिरोध को और बिगाड़ेगा। रिपोर्ट के मुताबिक इससे आगे चलकर भारत को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को मौजूदा स्थिति को 2013 और 2014 में लद्दाख क्षेत्र में पिछले 2 गतिरोधों की तरह नहीं लेना चाहिए, क्योंकि इस बार मामला बिलकुल अलग है।

शिन्हुआ ने अपनी रिपोर्ट में आरोप लगाया है, ‘हाल के सालों में उग्र राष्ट्रवाद की रंग में रंगे कुछ भारतीय नागरिक समूहों ने लगातार चीन-विरोधी भावनाओं को भड़काया है। यहां तक कि चीन के सामानों के बहिष्कार का हल्ला भी किया गया वह भी उस वक्त जब चीन-भारत सीमा पर तनाव का माहौल है।’

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘चीन में एक पुरानी कहावत है कि शांति ही सबसे ज्यादा कीमती है। हाल ही में भारतीय विदेश सचिव एस. जयशंकर ने सिंगापुर में कुछ सकारात्मक बयान दिए थे। उन्होंने कहा था कि भारत और चीन को अपने मतभेदों को विवाद में नहीं बदलने देना चाहिए।’

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