डीजल कैब पर बैन से बीपीओ इंडस्ट्री को 66 अरब रुपये का नुकसान
|बिजनस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (बीपीओ) इंडस्ट्री के करीब 2.5 लाख एंप्लॉयीज दिल्ली-एनसीआर में रहते हैं। इसलिए डीजल गाड़ियों पर पाबंदी से बीपीओ इंडस्ट्री की मुश्किलें काफी बढ़ गई हैं। सरकारी खजाने में यह करीब 7.5 अरब डॉलर का योगदान देती है। इस बैन से बीपीओ कंपनियों को एक अरब डॉलर यानी करीब 66 अरब रुपये का नुकसान होने की संभावना सुप्रीम कोर्ट पाबंदी पर पुनर्विचार करे, इसके लिए इंडस्ट्री सरकार के साथ लॉबिंग कर रही है। इकनॉमिक टाइम्स को मिली खबर के मुताबिक मिनिस्ट्री ऑफ हेवी इंडस्ट्रीज, मिनिस्ट्री ऑफ ट्रांसपोर्ट, डिपार्टमेंट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजीज (DeitY) और मिनिस्ट्री ऑफ एनवायरमेंट को एक लेटर भेजकर औद्योगिक संगठन नैस्कॉम ने डीजल व्हीकल्स पर पाबंदी के आदेश को पूरी तरह पारित करने से पहले सीएनजी इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने को कहा है।
इस लेटर में महिला कर्मचारियों की सुरक्षा और कमजोर सीएनजी इंफ्रास्ट्रक्चर की ओर ध्यान दिलाया गया है। इस मामले से वाकिफ DeitY के एक अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा, ‘नाइट शिफ्ट में काम करने वाली महिला कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है।’ अधिकारी ने कहा, ‘9 मई को होने वाली सुनवाई में हम इंडस्ट्री को सपोर्ट करने जा रहे हैं।’ सुप्रीम कोर्ट ने राजधानी में प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए 1 मई से नॉन-सीएनजी टैक्सियों पर रोक लगा दी है। इस फैसले के लागू होने के बाद करीब 40,000 टैक्सियां सड़क से हट गईं, जिससे दिल्ली-एनसीआर आने जाने वालों को काफी मुश्किल हो रही है। बीपीओ इंडस्ट्री मुख्य रूप से थर्ड पार्टी कैब सर्विस पर निर्भर करती है।
नाइट शिफ्ट या ऑड ऑवर में काम करने वाले एंप्लॉयीज को घर से दफ्तर लाने-ले जाने के लिए बीपीओ इंडस्ट्री को बड़े पैमाने पर टैक्सियों की जरूरत पड़ती है। रोड ट्रांसपोर्ट एवं हाइवे मिनिस्टर नितिन गडकरी ने सोमवार को कहा था कि मंत्रालयों के बीच चर्चा के बाद सुप्रीम कोर्ट के सामने इन मुद्दों को उठाने का फैसला किया गया है। इस मामले में अगली सुनवाई 9 मई को होगी। नैस्कॉम की सीनियर वाइस प्रेजिडेंट संगीता गुप्ता ने कहा, ‘इस फैसले को चरणबद्ध तरीके से लागू करने की जरूरत है।
सीएनजी इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने के बाद ही इंडस्ट्री इस फैसले पर पूरी तरह अमल कर पाएगी।’ नैस्कॉम ने यह भी कहा है कि जब तक सीएनजी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार नहीं हो जाता, तब तक नाइट शिफ्ट में काम करने वाली फीमेल एंप्लॉयीज को इस नियम से छूट दी जाए। सेफ्टी पर जोर देने के अलावा इंडस्ट्री का यह भी कहना है कि अगर इस मामले को नहीं सुलझाया गया तो कारोबार के लिहाज दुनिया भर में इंडिया की छवि खराब हो सकती है।
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