ट्रंप प्रशासन ने H-1B वीजा नियम सख्त किए, भारतीय IT कंपनियों पर असर
|ट्रंप सरकार ने H-1B वीजा जारी करने के नियम सख्त कर दिए हैं, जिससे आईटी कंपनियों में भारतीय एंप्लॉयीज को वीजा दिलाने में बड़ी दिक्कतें हो सकती हैं। इसका असर भारतीय आईटी कंपनियों और एंप्लॉयीज पर काफी पड़ेगा। अमेरिकी सरकार की नई नीति के तहत यह साबित करना होगा कि एक या एक से अधिक स्थानों पर जॉब-वर्क की तरह के काम करने के लिए इस वीजा पर बुलाए जा रहे एंप्लॉयी का काम विशिष्ट प्रकार का है और उसे खास जरूरत के लिए बुलाया जा रहा है।
अमेरिका सरकार H-1B वीजा ऐसे विदेशी एंप्लॉयीज के लिए जारी करती है जो हाई स्किल्ड होते हैं और उस तरह के हुनरमंद लोगों की अमेरिका में कमी होती है। H-1B वीजा नियमों से सबसे अधिक फायदा भारतीय आईटी कंपनियां। अमेरिका के बैंकिंग, ट्रैवल और कमर्शल सर्विसेज भारत के आईटी वर्कर्स पर निर्भर हैं।
गुरुवार को जारी हुए 7 पेजों के एक नीतिगत दस्तावेज में एच1बी वीजा के नए नियम जारी किए गए हैं। इसके तहत अमेरिका के नागरिकता और आव्रजन विभाग को यह वीजा केवल तीसरे पक्ष के साइट कार्य (कार्यस्थल) की अवधि तक के लिए जारी करने की ही अनुमति होगी। इस तरह इसकी अवधि 3 साल से कम की हो सकती है जबकि पहले यह एक बार में 3 साल के लिए दिया जाता था। यह नियम लागू हो गया है। इसके लिए ऐसा समय चुना गया है जबकि 1 अक्तूबर 2018-19 से शुरू होने वाले वित्त वर्ष के लिए एच1बी वीजा के आवेदन 2 अप्रैल से आमंत्रित किए जा सकते हैं।
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