टेलिकॉम सेक्टर में अब तेज होगी बेहतर सेवाएं देने की होड़!
|घरेलू टेलिकॉम इंडस्ट्री प्रतिस्पर्धा के नए दौर में प्रवेश कर रही है। टैरिफ एकदम निचले लेवल पर आ गए हैं, इसलिए दिग्गज कंपनियां नए कस्टमर बनाने और पुराने को साथ बनाए रखने के लिए अपनी सर्विस की क्वॉलिटी बेहतर बनाने और नए-नए ऑफर्स पर फोकस बढ़ाने में जुटी हैं। काउंटरपॉइंट रिसर्च के रिसर्च ऐनालिस्ट सत्यजीत सिन्हा का कहना है, ‘इंडियन टेलिकॉम मार्केट QoS (सर्विस की क्वॉलिटी) की तरफ बढ़ रहा है, जो नए यूजर हासिल करने के अलावा पुराने को बनाए रखने में अहम साबित होगी।’
सिन्हा ने कहा कि सर्विस प्रोवाइडर्स खास तरह के यूजर बेस में इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसी नई टेक्नॉलजी की आदत शुरुआत में ही डालने के लिए उनको टारगेट करने पर फोकस कर सकती हैं। कन्ज्यूमर और एंटरप्राइज सेगमेंट के लिए अलग-अलग सर्विसेज हो सकती हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि पुरानी टेलिकॉम कंपनियों में भारती एयरटेल, वोडाफोन इंडिया और आइडिया सेल्युलर के अलावा कैश से लबालब नई कंपनी रिलायंस जियो इन्फोकॉम क्वॉलिटी पर फोकस कर सकती है। इनके उलट पूंजी की तंगी से जूझ रहीं छोटी टेलिकॉम कंपनियां बड़े पैमाने पर सब्सक्राइबर्स का पलायन रोकने के लिए कम प्राइस रखने पर दांव लगा सकती हैं।
ऐनालिस्ट फर्म अर्न्स्ट ऐंड यंग ने कहा कि टैरिफ वॉर अब छोटी कंपनियों के मैदान में है क्योंकि टॉप कंपनियां सर्विसेज, कॉन्टेंट और ऐप्स की क्वॉलिटी पर फोकस कर रही हैं। ईवाई में पार्टनर (टेलिकॉम अडवाइजरी) भरत भार्गव ने कहा, ‘ब्रैंडिंग से लेकर कॉल सेंटर और आउटलेट्स से लेकर सेल्फ सर्विस तक, हर टच पॉइंट पर कस्टमर एक्सपीरियंस को बेहतर बनाने की जरूरत है।’ दो महीने पहले एयरटेल ने कस्टमर एक्सपीरियंस बेहतर बनाने के लिए ‘प्रॉजेक्ट नेक्स्ट’ लॉन्च किया था। प्रॉजेक्ट नेक्स्ट में देश की सबसे बड़ी टेलिकॉम ऑपरेटर एयरटेल ने नई पीढ़ी के एयरटेल स्टोर्स खोले। कंपनी का मकसद कस्टमर्स के साथ बातचीत को सहज बनाना है।
कंपनी के स्पोक्सपर्सन ने बताया कि इनोवेशन लैब में हजारों कस्टमर्स के फीडबैक लिए और उसमें से कुछ अहम बिंदुओं पर गौर किया गया। उनके आधार पर एक प्लान तैयार किया गया जिसमें पोस्टपेड कस्टमर्स अनयूज्ड मंथली डेटा कोटा अगले बिलिंग साइकिल में कैरी फॉरवर्ड कर सकते हैं। केपीएमजी में टेलिकॉम पार्टनर और हेड मृत्युंजय कपूर ने कहा कि सबसे बड़ा फर्क पैदा करने वाला अकेला फैक्टर सर्विस की क्वॉलिटी होगी। इसके लिए टेलिकॉम कंपनियों को खासतौर पर टावर, बैंडविड्थ, स्पेक्ट्रम और बैकहाउल (एक से दूसरे वायरलेस एक्सेस प्वाइंट तक डेटा और वॉयस ट्रांसपोर्टेशन) पर निवेश करना होगा।
टॉप तीन कंपनियों में से एक के टॉप एग्जिक्युटिव ने बताया कि कंपनियों के कारोबारी रुख में बदलाव आ रहा है। उन्होंने कहा, ‘दाम और घटने की गुंजाइश ही कहां है। वे तो पहले से ही बहुत कम हैं। हमें तो अब क्वॉलिटी पर भिड़ना है। देखते हैं कौन जीतता है।’ वोडाफोन इंडिया का कहना है कि कॉम्पिटिशन के अगले फेज में वह हर सेगमेंट में कस्टमर्स की अलग-अलग जरूरतें पूरी करने पर फोकस करेगी और उनके हिसाब से प्रॉडक्ट्स लॉन्च करेगी।
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