टाटा संस के खिलाफ मिस्त्री के मामले में NCLT ने फैसला टाला

मुंबई
टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री की ओर से इन्वेस्टमेंट होल्डिंग कंपनी के खिलाफ दायर मामले में नैशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT) ने अपना फैसला सोमवार तक टाल दिया है। मिस्त्री की फर्मों ने टाटा संस में खराब मैनेजमेंट और माइनॉरिटी शेयरहोल्डर के हितों को अनदेखा करने का आरोप लगाया था।

जस्टिस बी एस वी प्रकाश कुमार और वी नल्लासेनापति की NCLT की दो सदस्यीय बेंच ने कहा कि फैसला सोमवार को सुनाया जाएगा क्योंकि उन्हें कुछ सुधार करने हैं। जस्टिस कुमार ने कहा कि फैसला टालने के लिए वह खेद व्यक्त करना चाहते हैं। टाटा ग्रुप की चार वर्ष तक कमान संभालने के बाद मिस्त्री को 24 अक्टूबर, 2016 को हटाने के बाद उनकी फैमिली फर्मों- साइरस इन्वेस्टमेंट्स और स्टर्लिंग इन्वेस्टमेंट्स ने ये आरोप लगाए थे। इससे पहले मिस्त्री और टाटा ग्रुप ने भी एक-दूसरे के खिलाफ बयान दिए थे।

मिस्त्री की ओर से दिसंबर 2016 में दायर याचिका में टाटा ग्रुप की ऑपरेटिंग कंपनियों में रतन टाटा और टाटा ट्रस्ट्स के एन ए सूनावाला के हस्तक्षेप के कारण टाटा संस में गवर्नेंस कमजोर होने और बिजनेस को लेकर गलत फैसले किए जाने का आरोप लगाया था।मिस्त्री ने टाटा संस के बोर्ड में शापूरजी पालोनजी ग्रुप को उपयुक्त प्रतिनिधित्व देने, टाटा संस के मामलों में टाटा ट्रस्ट्स के ट्रस्टीज के हस्तक्षेप को रोकने, टाटा संस को प्राइवेट कंपनी में तब्दील होने से बचाने और टाटा संस में साइरस मिस्त्री फैमिली फर्मों के शेयर्स को जबरदस्ती ट्रांसफर करने की अनुमति न देने की मांग की थी।

उनकी दलील थी कि टाटा संस का आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन माइनॉरिटी शेयरहोल्डर्स के अधिकारों के खिलाफ पक्षपात करता है। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन में हाल के बदलावों से उनकी फर्मों को मार्केट में शेयर्स बेचने में मुश्किल होगी।

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