टाटा-डोकोमो क्षतिपूर्ति मामला: हाई कोर्ट ने रिजर्व बैंक की हस्तक्षेप की अपील को खारिज किया
|दिल्ली हाई कोर्ट ने टाटा-डोकोमो मामले में रिजर्व बैंक की हस्तक्षेप की अपील को खारिज कर दिया है। जापानी दूरसंचार कंपनी एनटीटी डोकोमो और टाटा संस के बीच डोकोमो को 1.17 अरब डॉलर की क्षतिपूर्ति के भुगतान के लिए बनी सहमति की शर्तों को रिकॉर्ड पर लेते हुए हाई कोर्ट ने यह व्यवस्था दी। टाटा संस ने हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है।
जस्टिस एस मुरलीधर ने अपने फैसले में रिजर्व बैंक की हस्तक्षेप की अपील को खारिज कर दिया। इसमें इस मामले के निपटान के साथ लंदन कोर्ट ऑफ इंटरनैशनल आर्बिट्रेशन (एलसीआईए) द्वारा क्षतिपूर्ति के आदेश का विरोध किया गया था। अदालत ने कहा कि उसने अपने फैसले में विस्तार से निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने डोकोमो की एलसीआईए के फैसले को लागू करने की अपील का निपटान कर दिया।
अदालत ने इस मामले में 15 मार्च को अपना फैसला सुरक्षित रखा था। डोकोमो और टाटा को इस मामले के लिए मध्यस्थता या पंच निर्णय के लिए जाना पड़ा था क्योंकि कंपनी संयुक्त उद्यम टाटा टेलीसर्विसेज में जापानी दूरसंचार कंपनी की 26.5 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए खरीदार नहीं ढूंढ़ पाई थी। दोनों कंपनियों के बीच हुए शेयरधारिता करार के तहत डोकोमो के इस उपक्रम से पांच साल के अंदर निकलने पर टाटा को खरीदार ढूंढ़ना होगा जो जापानी कंपनी की हिस्सेदारी अधिग्रहण मूल्य के कम से कम 50 प्रतिशत पर करेगी, जो 58.45 रुपये प्रति शेयर बैठता है।
एक अन्य विकल्प टाटा द्वारा शेयरों की खरीद बाजार मूल्य पर करने का था, जो 23.44 रुपये प्रति शेयर बैठता है। हालांकि, डोकोमो ने इसे स्वीकार नहीं किया और मध्यस्थता का रास्ता चुना। इसके बाद एलसीआईए ने जून, 2016 में टाटा द्वारा खरीदार ढूंढ़ने में विफल रहने पर डोकोमो के पक्ष में 1.17 अरब डॉलर की क्षतिपूर्ति का आदेश दिया।
डोकोमो इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट चली गई। वहीं टाटा ने कहा कि रिजर्व बैंक ने इसमें भुगतान के लिए मंजूरी देने से इनकार किया है। सुनवाई के दौरान रिजर्व बैंक ने कहा कि चूंकि उसने विदेश धन स्थानांतरण की अनुमति नहीं दी है। केंद्रीय बैंक ने कहा आज की तारीख तक उसके फैसले को चुनौती नहीं दी गई है। रिजर्व बैंक ने अपनी हस्तक्षेप याचिका में दलील दी कि इन कंपनियों के बीच का शेयरधारिता करार गैरकानूनी है। केंद्रीय बैंक ने इस मामले में विदेशी कंपनी को क्षतिपूर्ति दिए जाने का भी विरोध किया था।
क्या कहा टाटा संस ने?
टाटा संस ने कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि कोर्ट ने कंपनी और एनटीटी डोकोमो को लंदन कोर्ट ऑफ इंटरनैशनल ऑर्बिट्रेशन के 22 जून 2016 के निर्णय को लागू करने की मंजूरी दी है। टाटा संस की ओर से जारी बयान में कहा गया कि कोर्ट ने रेखांकित किया कि शेयरहोल्डर्स अग्रीमेंट और ऑर्बिट्रेशन निर्णय किसी भी भारतीय कानून या नीति का उल्लंघन नहीं। समझौते की कोई शर्त भारतीय कानून के विपरीत नहीं।
मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।
बिज़नस न्यूज़, व्यापार समाचार भारत, वित्तीय समाचार, News from Business