जॉनी लीवर@68, सड़क पर पेन बेचे:शराबी पिता से तंग आकर आत्महत्या करने रेलवे ट्रैक पर पहुंचे, जानिए फिर कैसे बने कॉमेडी किंग
|हंसी के बादशाह, कॉमेडी के जादूगर और चेहरे पर मुस्कान लाने वाले जॉनी लीवर का आज जन्मदिन है। जॉनी हिंदी सिनेमा के सबसे फेमस कॉमेडियन में गिने जाते हैं। उन्होंने अब तक 350 से ज्यादा हिंदी फिल्मों में काम किया है। आज जॉनी लीवर के बर्थडे के खास मौके पर आइए उनकी जिंदगी को करीब से छूते हैं- जॉनी एक तेलुगू क्रिश्चियन परिवार में पैदा हुए। उनके पिता हिंदुस्तान यूनिलीवर में ऑपरेटर थे। परिवार में तीन बहनें और दो भाई हैं। जॉनी का बचपन मुंबई की माटुंगा और धारावी की तंग गलियों में गुजरा। आर्थिक तंगी के कारण 6-7वीं क्लास के बाद वो पढ़ाई नहीं कर पाए। कम उम्र में उन्होंने छोटे-मोटे काम किए। सड़क पर पेन बेचे, ट्रेन में संतरे बेचे, यहां तक कि शराब के अड्डे पर भी काम किया। रणवीर अलाहबादिया को दिए इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि बचपन में पिता की शराबखोरी और मारपीट से तंग आकर उन्होंने एक बार आत्महत्या करने की सोची थी। जॉनी जब 13 साल के थे, तब वे रेलवे ट्रैक पर जाकर बैठ गए थे, ट्रेन आ रही थी। तभी तीनों बहनों के चेहरे उनकी आंखों के सामने आ गए, जैसे वो कह रही हों – ‘हमारा क्या होगा?’ और इसके बाद वे तुरंत ट्रैक से हट गए थे। जॉनी ने कहा था कि पापा शराब पीते थे और गलत कामों में शामिल रहते थे। कई बार मैंने उनके हथियार भी फेंक दिए। धारावी के दिनों को लेकर जॉनी ने बताया था कि वहां हत्या जैसी घटनाएं आम थीं। सात साल की उम्र में पहली बार उन्होंने एक शख्स की लाश देखी थी। जॉनी ने मुंबई के गैंगस्टर हाजी मस्तान और वरदराजन को लेकर कहा था कि हम तो बचपन से उन्हें जानते थे, पास से देखा है। जब हाजी मस्तान आते थे, तो लोगों की भीड़ लग जाती थी, उनकी बहुत इज्जत होती थी। वहीं, जब उनसे पूछा गया था कि आप हाजी मस्तान और वरदराजन से डरते नहीं थे? तो जॉनी ने हंसते हुए कहा था, “नहीं, हम तो उन्हें बहुत प्यार करते थे। वो कहते थे, ‘ये मेरा बच्चा है, बेटा है।’ जॉनी ने यह भी कहा था कि वो अगर आर्टिस्ट नहीं होते तो गुंडे होते। महमूद, जॉनी वॉकर, किशोर कुमार की नकल में माहिर थे जॉनी 12 साल की उम्र से ही स्टेज पर डांस और मिमिक्री करने लगे थे, जहां वे महमूद, जॉनी वॉकर और किशोर कुमार की नकल करते थे। पेन बेचते समय उनका अंदाज भी अनोखा था। एक दिन, अशोक कुमार की आवाज में उन्होंने एक लड़के से कहा -“बेटा, पैसे नहीं हैं तो पिताजी की जेब से निकालो और ये निब पेन, बॉल पेन खरीदो, बड़े आदमी बनोगे।” कभी जॉनी शत्रुघ्न सिन्हा की आवाज में कहते – “ये पेन कमाल का है,” तो कभी ओम प्रकाश की आवाज में -“उठा लो, उठा लो, बहुत बड़े आदमी बन जाओगे।” 18 साल की उम्र में जॉनी लीवर ने हिंदुस्तान लीवर कंपनी में काम करना शुरू कर दिया था। जब वे हिंदुस्तान लीवर में काम करते थे, तो उनकी तनख्वाह सिर्फ 600 रुपए थी। वे वहां लेबर के रूप में छह साल तक काम करते रहे। नौकरी के दौरान ही वो शाम के समय स्टेज शो भी करते थे। वो दिन में नौकरी और रात में शो करते थे। हिंदुस्तान यूनिलीवर के एक फंक्शन में उन्होंने अफसरों की मिमिक्री की। तभी से लोग उन्हें जॉनी कहने लगे। फिल्म इंडस्ट्री में आने के बाद उन्होंने यही नाम अपनाया। जॉनी ने म्यूजिकल शो और तबस्सुम हिट परेड जैसे मंचों पर कॉमेडी की। बाद में संगीतकार जोड़ी कल्याणजी-आनंदजी के साथ उनके शो में शामिल हो गए। सुनील दत्त ने मौका दिया था 1981 में उन्होंने यूनिलीवर की नौकरी छोड़ दी और स्टेज शो पर पूरा ध्यान दिया। 1982 में अमिताभ बच्चन के साथ वर्ल्ड टूर किया। एक शो में एक्टर सुनील दत्त ने उनकी परफॉर्मेंस देखी और उन्हें अपनी फिल्म ‘दर्द का रिश्ता’ में काम दिया। फिर जॉनी ने ‘हंसी के हंगामे नाम’ से एक ऑडियो कैसेट निकाली, जिससे उनको घर-घर में पहचान मिली। इसी दौर में उन्होंने ‘कछुआ छाप अगरबत्ती’ का विज्ञापन भी किया, जिसे शेखर कपूर ने डायरेक्ट किया था। 1986 में उन्होंने ‘होप 86’ नाम के चैरिटी शो में फिल्म इंडस्ट्री के सामने परफॉर्म किया। वहां से प्रोड्यूसर गुल आनंद ने उन्हें फिल्म ‘जलवा’ ऑफर की थी। इसके बाद वो ‘तेजाब’, ‘कसम’, ‘खतरनाक’, ‘किशन कन्हैया’ जैसी फिल्मों में नजर आए। 1990 के दशक में जॉनी को फिल्म ‘बाजीगर’ से बड़ी पहचान मिली। इसके बाद वो छोटा छत्री, असलम भाई और बबलू जैसे किरदारों के लिए मशहूर हुए। फिल्म में काम के साथ वो लाइव शो करते रहे। 2011 में उनकी पहली तमिल फिल्म ‘अनबिर्क्कु अलविल्लै’ रिलीज हुई। वो कन्नड़ फिल्म ‘गारा’ में भी नजर आए और तुलु भाषा की फिल्म ‘रंग’ में भी काम किया। जॉनी लीवर की पर्सनल लाइफ जॉनी लीवर की 1984 में सुजाता लीवर से शादी हुई थी। कपल के दो बच्चे जेमी और जेसी हैं। जेमी भी एक्ट्रेस और कॉमेडियन हैं। वहीं, बेटा जेसी भी एक एक्टर है। जॉनी लीवर के छोटे भाई जिमी मोसेस एक एक्टर और स्टैंड-अप कॉमेडियन हैं। बेटे की बीमारी ने जॉनी की जिंदगी का नजरिया बदल दिया जॉनी लीवर की जिंदगी के सबसे मुश्किल समय में से एक वह था, जब उनके बेटे जेसी के गले में ट्यूमर निकला था। जॉनी के बेटे जेसी तब सिर्फ 10 साल के थे। जब उनके गले में एक गांठ निकली, जिसके लिए कई इलाज और सर्जरी की कोशिशें हुईं, लेकिन ट्यूमर नसों में उलझा हुआ था। डॉक्टरों ने चेतावनी दी थी कि ऑपरेशन करने पर वह अंधे या लकवाग्रस्त हो सकते हैं। दवाओं के बावजूद ट्यूमर बढ़ता गया और जेसी को रोज 40-50 गोलियां खानी पड़ीं। एक बार जॉनी परिवार सहित अमेरिका घूमने गए। वहां जर्सी के एक चर्च में एक पादरी से मुलाकात हुई। पादरी ने सलाह दी कि जेसी को न्यूयॉर्क के स्लोन केटरिंग हॉस्पिटल में ले जाएं और भरोसा दिलाया कि भगवान उसे ठीक करेंगे। भारत के डॉक्टर ऑपरेशन से मना कर चुके थे, लेकिन जॉनी ने पादरी की बात मान ली। पत्नी की हिचकिचाहट के बावजूद दोस्तों की मदद से डॉक्टर मिला और ऑपरेशन सफल रहा। ऑपरेशन के बाद जेसी का पूरा ट्यूमर निकल गया और सिर्फ एक छोटा-सा बैंडेज रह गया। बता दें कि इस घटना से जॉनी की जिंदगी बदल गई। उन्होंने शराब जैसी अपनी सभी बुरी आदतें छोड़ दीं। रणवीर अलाहबादिया को दिए इंटरव्यू में जॉनी ने बताया था कि अन्याय देखकर उन्हें गुस्सा आता था। ऑर्केस्ट्रा शो में अगर किसी ने महिला कलाकार के साथ बदतमीजी की, तो उन्हें उसे सबक सिखाने का मन होता था, लेकिन समय के साथ उन्होंने खुद को कंट्रोल करना सीखा। जॉनी ने एक और घटना बताई थी कि वे बांद्रा में एक फिल्म की शूटिंग कर रहे थे। सीन में एक लड़की को समंदर से बहकर किनारे आना था, वह बिकिनी पहने थी और किनारे पर पड़ी थी। जॉनी लीवर हवलदार के किरदार में थे और विनोद खन्ना इंस्पेक्टर थे। शॉट खत्म होने के बाद सभी लोग चाय-पानी पी रहे थे, लड़की टॉवल ओढ़कर बैठी थी। तभी एक रिक्शा वाला आया और अजीब नजरों से लड़की को घूरने लगा। ऑटो रिक्शा वाले पर जॉनी लीवर को गुस्सा आ गया, उन्होंने सोचा उसे सबक सिखा दें, लेकिन वह भाग गया। जॉनी लीवर ने कहा था कि सच कहूं तो मेरी इमेज को सूट नहीं कर रहा था, वर्ना मैं तो उसका मुंह फोड़ देता। उसको पता भी नहीं चलता कि क्या हुआ। हम लोग तो बचपन से स्ट्रीट फाइटर टाइप के रहे हैं टक्कर, मारपीट और एकदम सामने से भिड़ जाना… ये सब हमारे लिए आम था। बहन की मौत के बाद भी शो करना पड़ा था अपनी बेटी जेमी के साथ एक पॉडकास्ट में जॉनी ने बताया था कि उनकी बहन का निधन हो गया था। घर में सब रो रहे थे, लेकिन उसी दिन उनका एक शो भी था। उन्हें लगा था कि शो शाम 7 बजे है, लेकिन दोस्त ने आकर बताया कि यह 4 बजे है। मन भारी था, फिर भी उन्होंने कपड़े उठाए, टैक्सी में कपड़े बदले और स्टेज पर पहुंच कर परफॉर्म किया। शो खत्म होने के बाद पैसे भी नहीं लिए और सीधे घर लौट आए। अनिल कपूर को शत्रुघ्न सिन्हा बनकर फोन पर प्रैंक किया जॉनी लीवर ने ‘द कपिल शर्मा शो’ में बताया था कि फिल्म ‘तेजाब’ की शूटिंग के दौरान उन्होंने अनिल कपूर के साथ शरारत की थी। जॉनी ने फोन पर शत्रुघ्न सिन्हा की आवाज में अनिल से कहा, “अनिल, मैं शत्रुघ्न बोल रहा हूं, शाम को मिलते हैं।” अनिल ने सम्मान से जवाब दिया, “सर, बिल्कुल सर–सर।” कुछ देर बाद जॉनी ने अपनी असली पहचान उजागर की तो अनिल हैरान रह गए और बोले थे, “तेरी ऐसी की तैसी!” प्रीचर बन दुनिया भर में लोगों की सेवा की जॉनी लीवर बेटे के इलाज के बाद चर्चों में प्रीचर बनकर जाने लगे थे। उन्होंने बताया था कि एक बार ऐसा हुआ कि जब भी वह किसी को छूते, लोग गिर जाते। बाद में उन्हें समझ आया कि यह परमेश्वर की शक्ति है। कई बार लोग उनसे प्रार्थना करने को कहते और तब बीमार लोग ठीक हो जाते, बुरी आत्माएं भी चली जातीं। उस समय फिल्मों में उनका काम कम हो गया था, तो उन्होंने 13 साल तक प्रीचर बन दुनिया भर में सेवा की थी। जॉनी ने बताया कि कई बार फ्लाइट में भी, जब किसी को मेडिकल इमरजेंसी होती और डॉक्टर मौजूद नहीं होता, तो वे आगे बढ़कर प्रेयर करते। हैरानी की बात है कि ऐसे कई मौके पर लोगों की हालत सुधर गई। हाल ही में कॉमेडियन सपन वर्मा के यूट्यूब शो पर उन्होंने कहा था कि मैं चौपाटी पर बैठकर सुबह 4 बजे तक पीता था। कई बार पुलिस आती थी, लेकिन जब पहचानती थी तो कहती- अरे जॉनी भाई और मुझे अपनी गाड़ी में बैठा देती थी ताकि मैं सुरक्षित रहूं। जॉनी ने बताया था कि लगातार काम और शराब के चलते उनका शरीर थक जाता था। फिर भी वो परफॉर्मेंस देते थे। उन्होंने कहा कि मैं लोगों से कहता हूं- लिमिट में पियो। मैंने हदें पार कर दी थीं। मैं शराबी बन गया था। ये सब करना किसी काम का नहीं। हालांकि, जॉनी ने 24 साल पहले शराब छोड़ दी थी और तब से उन्होंने शराब नहीं पी है। फिल्मों में डाउनफॉल आने पर घर बेचने का सोचा 1990 से 2000 के दशक के बीच जॉनी लीवर के बिना फिल्में पूरी नहीं होती थीं, लेकिन एक समय ऐसा भी आया, जब उनका डाउनफॉल शुरू हो गया। जॉनी के पैसे खत्म हो गए। वे घर बेचकर मीर रोड में नया घर लेने का सोच रहे थे। अभिनेत्री कुणिका सदानंद के साथ बातचीत में जॉनी ने कहा था कि जो भी कमाया, उन्होंने चैरिटी में दे दिया, पैसा अपने पास कभी नहीं रखा। उनके घर से कोई खाली हाथ नहीं जाता था। पिछले एक-डेढ़ दशक में जॉनी ‘गोलमाल 3’, ‘हाउसफुल 2’, ‘खिलाड़ी 786’, ‘एंटरटेनमेंट’, ‘दिलवाले’ ‘गोलमाल अगेन’, ‘जुड़वा 2’, ‘टोटल धमाल’, ‘हाउसफुल 4’, ‘कुली नं. 1’, ‘हंगामा 2’, ‘सर्कस’ जैसी फिल्मों में नजर आए हैं। 2025 में वो ‘बैडएस रवि कुमार’, ‘बी हैप्पी’, ‘हाउसफुल 5’ में दिखे, अब वो जल्द ‘वेलकम टु द जंगल’ में नजर आएंगे, जो दिसंबर में रिलीज होगी। ————————— बॉलीवुड से जुड़ी यह खबरें भी पढ़ें: सारा @30, रोहित शेट्टी से हाथ जोड़कर मांगा काम:नेपोटिज्म ट्रोलिंग पर बोलीं- मां-बाप नहीं बदल सकती, ऐश्वर्या से मिली एक्ट्रेस बनने की प्रेरणा बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता सैफ अली खान और अमृता सिंह की बेटी सारा अली खान ने अपनी मेहनत, लगन और प्रतिभा से इंडस्ट्री में अपनी एक खास जगह बनाई है। पूरी खबर पढ़ें..