जेल ऐक्टिविस्ट वर्तिका नंदा ने किया डासना जेल में किताब का विमोचन
|जेल ऐक्टिविस्ट व मशहूर लेखिका वर्तिका नंदा ने रविवार को डासना स्थित जिला कारागार में ‘तिनका-तिनका डासना’ नाम की किताब का विमोचन किया। यह किताब हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में रिलीज की गई है। इस किताब में जेल में बंद कुछ कैदियों की कविताओं और उनके जेल के अनुभवों को प्रकाशित किया गया है। इसके अलावा किताब में जेल स्टाफ की जिंदगी और उनकी पूरी यात्रा के बारे में भी बताया गया है। किताब का कवर मोनिका सक्सेना ने डिजाइन किया है।
डासना जेल में रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए वर्तिका नंदा ने बताया कि तिहाड़ से शुरू हुआ उनका यह सफर अब डासना में भी अंतिम पड़ाव पर है। हालांकि उन्होंने इस किताब की और भी सीरीज लिखने की बात कही। ‘तिनका-तिनका डासना’ किताब में प्रमुख रूप से 4 कहानी हैं, जो 5 कैदियों की जुबानी है। 3 कहानियों के किरदार पढ़ने-लिखने में रुचि रखने वाले हैं, जबकि चौथा घूमने का शौकीन है, क्योंकि वह ट्रक ड्राइवर था। किताब में जेल में होने वाली मुलाकात, महिला कैदी और उनके बच्चों का बचपन का भी मार्मिक चित्रण किया गया है। तिनका-तिनका फाउंडेशन की तरफ से पब्लिश इस किताब को वर्तिका नंदा 5 बार लिख चुकी थीं, मगर हर बार कुछ न कुछ संशोधन करना पड़ा।
नूपुर तलवार ने किया ट्रांसलेशन
वर्तिका नंदा ने किताब हिंदी भाषा में लिखी थी, लेकिन वह उसे अंग्रेजी और उर्दू में भी छपवाना चाहती थीं। इंग्लिश की कॉपी के लिए उन्होंने नूपुर तलवार से रिक्वेस्ट की, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। वर्तिका ने बताया कि उनके बार-बार रिक्वेस्ट करने पर नूपुर ने कॉपी का अनुवाद किया। वहीं, उर्दू में किताब का अनुवाद अभी चल रहा है।
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