जेटली की बैंक यूनियनों से प्रस्तावित हड़ताल वापस लेने की अपील
| सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की यूनियनों ने 25 फरवरी से चार दिन की देशव्यापी हड़ताल पर जाने की घोषणा की है। मंत्री ने कहा है कि वेतन समझौते के लिए पहले ही बैंकों और कर्मचारी यूनियनों व संघों के बीच बातचीत चल रही है और ‘समझौते के लिए सदभावनापूर्ण द्विपक्षीय बातचीत ही एकमात्र तरीका है।’ एक बयान में जेटली ने सार्वजनिक बैंकों के सभी कर्मचारियों व उनकी यूनियनों व असोसिएशनों से अपील की है कि वे बैंक हड़ताल में शामिल होकर आंदोलन का रास्ता नहीं अपनाएं तथा ‘हड़ताल का आह्वान’ वापस ले लें। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित हड़ताल में शामिल होना न तो वांछित है और न ही देश हित में है। बैंक यूनियनों के संयुक्त मंच ‘यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) के संयोजक एम.वी. मुरली ने इससे पहले कहा था कि बैंक पहले ही अपने खातों में 15 प्रतिशत वेतन वृद्धि को शामिल कर चुके हैं, लेकिन वह कर्मचारियों के समक्ष केवल 13 प्रतिशत की पेशकश रख रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह बैंक कर्मचारियों को स्वीकार्य नहीं है। बैंक कर्मचारी अपने सभी दायित्वों को निभा रहे हैं और उन्होंने प्रधानमंत्री जनधन योजना को सफल बनाने में काफी मेहनत की है। प्रधानमंत्री ने स्वयं इस बात को स्वीकार किया है, इसलिये हमने तय किया है कि जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होती हैं हम हड़ताल के फैसले पर अडिग हैं।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को बैंक यूनियनों से 25 फरवरी से प्रस्तावित हड़ताल वापस लेने की अपील करते हुए कहा कि कर्मचारियों की वेतन संशोधन मांगों को लेकर बातचीत चल रही है।