जूलर्स और बिल्डर्स पर आयकर विभाग की टेढ़ी नजर
|नोटबंदी के बाद सरकार का ब्लैक मनी पर हमला लगातार जारी है। मुंबई के एक जूलर ने दिसंबर में अपने बैंक एकाउंट में 100 करोड़ रुपये की रकम डिपॉजिट की थी। आयकर विभाग ने उन्हें हाल में बुलावा भेजकर उन सब लोगों के पैन डिटेल मांगे हैं, जिन्होंने 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा के बाद उनसे जूलरी खरीदी थी।
दिल्ली के एक रियल एस्टेट डिवेलपर से आयकर विभाग ने जवाब-तलब किया है। उसने 30 दिसंबर को अपने एकाउंट में 25 करोड़ रुपये जमा कराए थे। डिवेलपर ने आयकर विभाग को बताया कि वह पैसा ‘कैश ऑन हैंड’ था और उसका जिक्र उसके बही-खाते में किया गया है। इस पर I-T डिपार्टमेंट उसके पिछले कुछ वर्षों के बही-खातों की स्क्रूटनी करने का प्लान बना रहा है।
नोटबंदी के बाद ब्लैक मनी बाहर निकालने के लिए चलाए जा रहे अभियान के तहत आयकर विभाग की जांच के दायरे में रियल एस्टेट डिवेलपर्स, जूलर्स और लग्जरी गुड्स सेलर्स आ गए हैं। मामले के जानकार I-T टैक्स ऑफिसर्स और कंसल्टेंट्स ने बताया कि बहुत से लोगों को डिपार्टमेंट की तरफ से बुलाया जा रहा है। मुमकिन है कि आने वाले महीनों में उनको टैक्स नोटिस भी भेजा जाए।
सरकार उन लोगों के पीछे पड़ सकती है, जिन्होंने इस साल मनी लॉन्ड्रिंग करने की कोशिश की है। आमतौर पर टैक्स डिपार्टमेंट दो-तीन साल पहले के मामलों में टैक्स नोटिस भेजता है। एक सूत्र ने बताया कि असेसमंट इयर 2016-17 के लिए नोटिस 2017 में ही भेजे जा सकें, इस संबंध में नियमों में संशोधन के लिए तीन सदस्यीय कमिटी बनाई गई है।
सूत्र के मुताबिक, ‘फोकस सिर्फ उन एकाउंट्स पर होगा, जहां एक करोड़ या ज्यादा की रकम जमा कराई गई है। ऐसे लगभग 5,000 मामले हैं जिनमें कम से कम आधे टैक्स के दायरे में आ सकते हैं।’ रियल एस्टेट डिवेलपर्स ने कथित तौर ब्लैक मनी को कैश ऑन हैंड साबित करने की कोशिश की है।
एक टैक्स एक्सपर्ट ने कहा, ‘ज्यादातर रियल एस्टेट डिवेलपर्स के पास कैश ऑन हैंड के तौर पर मोटी रकम होती है। बहुत से डिवेलपर्स ने बैंक अकाउंट में मोटी रकम जमा कराई है और दावा किया है कि वह कैश ऑन हैंड है जबकि असलियत में वह ब्लैक मनी है।’ आयकर विभाग डिवेलपर्स से अपने बही खाते दिखाने के लिए कह रहा है और उनके खर्चों का मिलान पहले के वर्षों के डेटा से कर रहा है।
सरकार के इस अभियान में पिछले कुछ महीनों में जुटाए गए डेटा की तेज रफ्तार से की गई अनैलेसिस का अहम रोल है। टैक्स अडवाइजरी नांगिया एंड कंपनी के मैनेजिंग पार्टनर राकेश नांगिया के मुताबिक, ‘I-T डिपार्टमेंट के लिए बैंकों और फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशंस से बड़ी संख्या में जुटाए गए नोटबंदी संबंधी डेटा के रिजल्ट ओरिएंटेड अनैलेसिस करने और उसको टैक्सपेयर्स के रिकॉर्ड से मिलान करना वक्त की मांग है, ताकि टैक्स चोरी करने वालों को अलग किया जा सके।’
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