जासूसी में माहिर थे पहले RAW चीफ, नेहरू-इंदिरा के थे एडवाइजर

नई दिल्ली. भारतीय रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) हर पल पड़ोसी मुल्कों में हमारे खिलाफ हो रही साजिशों पर पैनी नजर रखती है। कहा जाता है कि रॉ के खुफिया जासूस दुनिया के हर कोने में मौजूद हैं, जो अपराधी, देशद्रोही और आतंकियों पर नकेल कसने का काम करते हैं। सरकार को अहम इनपुट देती है। चीन-पाक वॉर के बाद बनी रॉ…     – रॉ का गठन सितंबर, 1968 में किया गया। जब 1962 के भारत-चीन और 1965 के भारत-पाक वॉर में इंटेलिजेंस ब्यूरो अच्छा काम नहीं कर पाई थी। – दोनों वॉर के वक्त देश के घरेलु और विदेशी मामले संभालने की जिम्मेदारी आईबी के पास ही थी। – आईबी की कमियों के चलते भारत सरकार को ऐसी संस्था की ज़रूरत महसूस हुई, जो इंडिपेंडेंट और एक्सपर्ट तरीके से खुफिया जानकारी जुटा सके।   रॉ और एनएसजी बनाने में इनका रोल   – खुफिया जासूसी में माहिर और आईबी के डिप्टी डायरेक्टर (रामेश्वर नाथ) आर. एन. काओ रॉ के पहले चीफ बने थे। – देश में रॉ और एनएसजी का स्ट्रक्चर खड़ा करने के लिए काओ का रोल अहम है। – काओ कश्मीरी पंडित फैमिली से ताल्लुक रखते थे, दोस्त उन्हें रामजी बुलाते थे।  – 10 मई,…

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