जाली नोट के खेल का पता लगाने के लिए बैंकों ने हायर किए फरेंसिक एक्सपर्ट्स
|बैंकों ने यह पता लगाने के लिए फरेंसिक एक्सपर्ट्स को हायर किया है कि उनकी किस ब्रांच ने नोटबंदी के बाद जाली करंसी नोट डिपॉजिट किए थे। इसके साथ ही एक्सपर्ट्स यह भी पता लगाएंगे कि जाली नोट जमा करवाने में किस कर्मचारी का हाथ था। इकनॉमिक टाइम्स ने यह जानकारी विश्वसनीय सूत्रों से हासिल की है।
एक जांचकर्ता ने बताया कि एक मामले में ऐसे एंप्लॉयी का सीधे तौर पर हाथ होने की बात का खुलासा हुआ है, जिसने एक कस्टमर को जाली करंसी नोट जमा कराने में मदद की थी। सूत्र ने बताया, ‘पिछले साल दिसंबर में बैंक एंप्लॉयी ने पहले 500 रुपये के असली करंसी नोट वाला बंडल निकाला और एक कस्टमर को दिया। कस्टमर ने उसी डीनॉमिनेशन वाले नोट में उतनी ही रकम लौटा दी जो दूसरे कस्टमर्स से लिए गए कैश के बंडल में डाल दी गई। बाद में कस्टमर ने ओरिजनल, लेकिन पुरानी करंसी वाले नोट अपने और अपने परिजन के बैंक खातों में डिपॉजिट किए।’
दूसरे जांचकर्ता ने बताया कि इस लेन-देन के निशान की छानबीन की जा रही है। उन्होंने कहा, ‘बैंकों ने डिपॉजिट रेंज और ब्रांच के हिसाब से अपने पास जमा सभी कैश डिपॉजिट को बैच नंबर दिए हैं। कुछ इंटरनल बैकवॉर्ड ट्रैकिंग हो सकती है और जाली करंसी नोट के सोर्स का पता लगाने का तरीका है।’
ज्यादातर जाली करंसी सिस्टम में इसलिए आ पाए कि 8 नवंबर को हुई नोटबंदी के बाद नोट जमा करने और बदलने के लिए ब्रांच में लगी लोगों की भीड़ में जाली नोटों को पकड़ना बहुत मुश्किल था। ब्लैक मनी और जाली नोट को सिस्टम से निकालने और भ्रष्टाचार को खत्म करने के मकसद से किए गए नोटबंदी के चलते सर्कुलेशन में बनी 86 पर्सेंट करंसी की वैल्यू एक झटके में जीरो हो गई।
एक सरकारी बैंक के एग्जिक्युटिव ने कहा, ‘हमने फरेंसिक ऑडिटर्स हायर किए हैं। हमारे ज्यादातर ग्रामीण और कुछ मेट्रो ब्रांच में फर्जी नोट पकड़ने की मशीनें नहीं हैं। लोगों की भीड़ इतनी ज्यादा थी कि हमारे टेलर के पास ब्रांच में भारी भीड़ को हैंडल करने के अलावा कोई और एक्टिविटी करने का वक्त नहीं था।’
बैंकों ने जाली नोट डिपॉजिट के संदेह वाले बड़े ट्रांजैक्शंस की खबर फाइनैंशल इंटेलीजेंस यूनिट (FIU) को दी थी लेकिन इसमें रकम का कोई अनुमान नहीं दिया गया है। एक बैंकर ने बताया कि आरबीआई ने जाली नोटों का पता लगा लगा लिया है। उसने बैंकों से यह पता लगाने के लिए कहा है कि वे कहां से आए हैं।
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