जान बचाने को बाप-बेटे ने जंगल में गुजारे 41 साल

हनोई
जंगल के अंदर बिना किसी बाहरी इंसान से मिले 41 साल तक जिंदगी गुजारने वाले इंसान को आप क्या कहेंगे, शायद टार्जन। 44 साल के हो वेन लांग और उनके पिता हो वेन थान असली जिंदगी के टार्जन हैं। दोनों ने वियतनाम युद्ध के बाद ते त्रा जिले के जंगलों में 41 साल का समय बिताया। जंगल जाते समय लांग की उम्र 2 साल थी। जब 2013 में उनके बारे में दुनिया को पता चला, तब वह 42 साल के हो चुके थे। लांग के पिता 85 साल के हैं।

मेल ऑनलाइन की खबर के मुताबिक, अमेरिका के साथ वियतनाम का युद्ध शुरू होने से पहले लांग के पिता त्रा केम नाम के एक छोटे से गांव में अपने पूरे परिवार के साथ सामान्य जिंदगी जी रहे थे। फिर एक दिन लड़ाई शुरू हो जाने के बाद बारूदी सुरंग की चपेट में आकर उनकी पत्नी और 2 बेटे मारे गए। इस घटना ने उन्हें परेशान कर दिया। जान बचाने के लिए वह 2 साल के लांग को साथ लेकर जंगल में भाग आए। अगले 41 साल तक वे दोनों जंगल से लौटकर वापस ही नहीं आए।

इतने समय तक उन्हें ना तो किसी इंसान ने देखा और ना ही उन्होंने ही किसी से संपर्क किया। दोनों बाप-बेटे ने साथ मिलकर जंगल में बिल्कुल नए सिरे से जिंदगी शुरू की। वहां शहर से दूर जंगल के मुताबिक खुद को ढाला। वहां ये दोनों चूहे भी खाते थे।

लांग और उनके पिता जंगल में शिकार करते, फल तोड़ते और मक्के की खेती करते थे। दोनों ही पेड़ की छाल को कपड़े की तरह पहना करते थे। उन्होंने जंगल में रहने के लिए लकड़ी का एक घर भी बना लिया था। साल 2013 में जब जंगल के अंदर गए कुछ पर्यटकों ने इन दोनों को देखा, तो उनकी हरकतें उन्हें अलग सी लगीं। पर्यटकों ने फिर उनके बारे में प्रशासन को जानकारी दी और आखिरकार 4 दशक बाद लांग और उनके पिता की कहानी के बारे में दुनिया को पता लग पाया।

उसके बाद प्रशासन ने उन्हें जंगल से बाहर बसाया गया। शहर में जंगल से दूर उन्होंने अलग तरीके से जिंदगी शुरू की। लांग और उनके पिता अब जहां रहते हैं, वह जगह जंगल से बहुत ज्यादा दूर नहीं है। अभी हाल ही में लांग एक फोटोग्रफर अलवेरो सेरेजो के साथ जंगल लौटे।

अलवेरो ने इस अनुभव के बारे में अपने ब्लॉग में लिखा, ‘मैं समझ पा रहा था कि लांग उस जगह पर जाने के लिए बेहद रोमांचित थे, जहां उन्होंने अबतक की अपनी पूरी जिंदगी गुजारी। मैंने उन्हें अपने भाई को भी साथ ले चलने को कहा। बात करने के लिए अनुवादक भी साथ था।’ उन्होंने आगे लिखा है, ‘लांग वहां जाने के लिए बिना किसी झिझक के तैयार हो गए। जंगल में एक पूरा दिन चलने के बाद हम वहां पहुंचे, जहां लांग अपने पिता के साथ रहते थे। वहां पहुंचकर वह करीब एक घंटे तक ठिठके रहे और दूर किसी चीज को निहारते रहे।’

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