जानिए किन आधार पर लिया जा सकता है तलाक

यूटिलिटी डेस्क। केंद्र सरकार ने तलाक की प्रक्रिया में स्त्रियों को पति की संपत्ति में हक दिलाने के लिए हिंदू विवाह अधिनियम 1955 व विशेष विवाह कानून 1954 में संशोधन का निर्णय लिया है। 2010 में तत्कालीन विधि मंत्री ने विवाह अधिनियम (संशोधन) विधेयक 2010 लोकसभा में पेश किया था। सरकार ने इसे स्वीकार कर लिया है। इसमें प्रमुख प्रावधान यह है कि पति या पत्नी, कोई भी इस आधार पर तलाक की अर्जी दे सकता है कि उसकी शादी अंतिम रूप से टूट गई है। इसके लिए याचिका दायर करने से पहले दोनों को कम से कम तीन वर्षों तक अलग रहना पड़ेगा। पत्नी इसका विरोध कर सकती है और कह सकती है कि शादी खत्म होने से उसे आर्थिक संकट हो सकता है। अदालत को देखना होगा कि बच्चों के लिए वित्तीय प्रबंध किया गया है या नहीं। विधेयक में एक नया प्रावधान दिया है कि पैतृक संपत्ति में भी पत्नी को हिस्सा दिया जाए और अगर उस संपत्ति का विभाजन संभव न हो तो उसमें पति के हिस्से का मूल्यांकन कर उसे मुआवजा दिया जाए। नई दिल्ली हाईकोर्ट की एडवोकेट नंदिता झा के अनुसार, हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13(बी) और स्पेशल मैरिज एक्ट की धारा 28 में…

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