जर्मन राजदूत ने ऑटो पार्ट्स पर कस्‍टम्‍स ड्यूटी बढ़ाने पर किया सवाल

नबील ए खान, नई दिल्ली
भारत में जर्मनी के राजदूत मार्टिन ने (Martin Ney) ने हाल में 2018 ऑटो एक्सपो कंपोनेंट शो में यूरोपियन यूनियन फ्री ट्रेड अग्रीमेंट की जरूरत पर बल देते हुए ऑटो कंपोनेंट्स के इंपोर्ट पर कस्टम्स ड्यूटी बढ़ाने की भारत सरकार की हालिया घोषणा पर सवाल उठाया। शो में मौजूद दूसरे विदेशी कंपोनेंट मेकर्स ने उनकी राय का समर्थन किया। मार्टिन ने कहा, ‘ऑटो कंपोनेंट पर कस्टम्स ड्यूटी बढ़ाने की तुक मैं नहीं समझ पा रहा हूं। अगर भारत जीडीपी को 8 पर्सेंट की दर से बढ़ाना चाहता है और निर्यात में बढ़ोतरी करना चाहता है तो उसे आयात की राह भी आसान बनानी होगी।’

उन्होंने कहा कि भारत को EUFTA के लिए कदम बढ़ाना चाहिए। राजदूत ने कहा, ‘भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में दावोस में कहा था कि हमें फ्री ट्रेड की जरूरत है। मेरा मानना है कि यूरोपियन यूनियन और इंडिया जैसे बड़े ट्रेड पार्टनर्स को मिलकर दुनिया में मानक बनाने चाहिए और मॉडर्न फ्री ट्रेड अग्रीमेंट का एक उदाहरण पेश करना चाहिए।’

2018-19 के आम बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कुछ ऑटो कंपोनेंट्स पर कस्टम्स ड्यूटी 5-10 पर्सेंट से बढ़ाकर 15 पर्सेंट कर दी थी। सीकेडी पर इंपोर्ट ड्यूटी को भी बढ़ाकर 15 पर्सेंट कर दिया गया था, जिससे सभी सेगमेंट्स में कीमतों में इजाफा होगा। कई मैन्युफैक्चरर्स इस बात से सहमत हैं कि इस कदम से ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा मिलेगा, लेकिन बॉश के चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर जेन-ऑलिवर रोल ने कहा, ‘इंडिया को केवल मेक इन इंडिया के बारे में ही नहीं, बल्कि डिजाइन इन इंडिया के बारे में भी सोचना चाहिए। संरक्षणवाद से किसी भी देश को फायदा नहीं होता है।’

जर्मन कार कंपनियों के भारत में अपने कारखाने हैं। उदाहरण के लिए, ऑडी अपनी ए3, ए4, ए6, क्यू 3, क्यू 5 और क्यू 7 मॉडलों को औरंगाबाद के कारखाने में बनाती है। फोक्सवैगन पसात और टिगुआन, स्कोडा की ऑक्टेविया, सुपर्ब और कोडिएक मॉडलों को भी यहीं बनाया जाता है। साल 2007 से ही बीएमडब्ल्यू ग्रुप का चेन्नै में अपना कारखाना है, जहां यह ग्रुप अपनी 3,5,6 और 7 सीरीज के अलावा एक्स 1, एक्स 3 और एक्स 5 एसयूवी मॉडलों को सीकेडी किट्स से तैयार करता है।

डेमलर की भी पुणे में पैसेंजर कार बनाने की फैक्ट्री है, जहां सी, सीएलए, ई और एस-क्लास के अलावा जीएलए, जीएलसी, जीएलई और जीएलएस एसयूवी मॉडल तैयार किए जाते हैं। इसी इलाके में पुणे के पास चाकन में फोक्सवैगन के कारखाने में एमियो और पोलो मॉडल्स और स्कोडा रैपिड को बनाया जाता है।

सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स के डायरेक्टर जनरल विष्णु माथुर ने कहा, ‘जो कंपनियां ज्यादा कंपोनेंट आयात करती हैं या सीकेडी कामकाज करती हैं, उनकी लागत बढ़ेगी, लिहाजा इसका बोझ कस्टमर पर डालने का निर्णय कंपनी को करना होगा।’ दूसरी ओर, इस साल देश का पैसेंजर वीइकल मार्केट जर्मनी से आगे निकलने वाला है। जर्मन असोसिएशन ऑफ ऑटोमोटिव इंडस्ट्री ने कहा, 2018 में इंडिया का पैसेंजर कार मार्केट पहली बार वॉल्यूम के लिहाज से जर्मन मार्केट से आगे निकल जाएगा। 2014 से 2017 के बीच यह मार्केट 26 पर्सेंट बढ़कर 32 लाख नई कारों तक पहुंच गया।’

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