जया बच्चन ने पहला पत्थर उछालने का साहस तो किया, कुछ टमाटर सड़े हैं इसका ये मतलब तो नहीं कि पूरी बॉस्केट ही सड़ी है

फिल्म इंडस्ट्री को बदनाम करने की कथित साजिश को लेकर राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन ने जीरो ऑवर नोटिस के जरिए अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों की वजह से पूरी इंडस्ट्री की छवि को धूमिल नहीं किया जा सकता। उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोकसभा सांसद पर निशाना साधते हुए कहा कि वे (जया) इस बात से बहुत शर्मिंदा हैं कि जिन लोगों ने इस इंडस्ट्री से नाम कमाया, अब वे ही इसे ‘गटर’ बता रहे हैं।

जया बच्चन का भाषण देखते ही देखते वायरल हो गया और फिल्म बिरादरी के लगभग हर व्यक्ति ने सोशल मीडिया पर इसकी जमकर तारीफ की। इंडस्ट्री में चल रहे बेसुरे राग और कोलाहल को रोकने के लिए किसी न किसी को तो आगे आना ही था और जया ने सही वक्त पर बड़ी ही दमदारी के साथ पहल की।

फिल्मी दुनिया पर चल रहे हथौड़े

पिछले कई सप्ताह से टेलीविजन चैनलों पर फिल्मी दुनिया के ड्रग्स के साथ संबंधों को लेकर खबरें चल रही हैं। दावे किए जा रहे हैं कि कुछ लोगों को छोड़कर बाकी पूरी फिल्मी दुनिया ड्रग्स पर ही जी रही है। कुछ ने इस तरह की हेडलाइन्स को अतिरंजित मानते हुए सिरे से ही खारिज कर दिया, लेकिन एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है जो टीवी चैनलों द्वारा परोसे जा रहे एक-एक शब्द पर भरोसा कर रहा है। हथौड़े इतनी तेजी से चल रहे हैं कि यहां तक कि फिल्म बिरादरी को अच्छी तरह से जानने वाले भी पूछने लगे हैं कि क्या यह दुनिया वाकई पापों से इतनी घिरी हुई है? और अगर ऐसा ही है तो फिर मेरे जैसे लोग इतने अंधकार में भी कैसे जी पा रहे हैं?

मैं ऐसे बेतुके सवालों का क्या जवाब दूं? क्योंकि यह सवाल पूछने वाले लोग तो खुद किसी ब्रेकिंग न्यूज के इंतजार में आठों पहर टीवी चैनलों से चिपके हुए हैं। आजकल खबरी चैनलों की सुर्खियां अपने आप में इतनी मनोरंजक हो गई हैं कि दर्शकों ने आम मनोरंजन चैनलों को छोड़कर न्यूज चैनल देखने शुरू कर दिए हैं। सच तो यह है कि हर व्यक्ति की बॉलीवुड की कहानियों में जबरदस्त दिलचस्पी है और इन कहानियों में अगर स्कैंडल का तड़का लगा हो तो फिर तो क्या कहने!

इंडस्ट्री को लेकर किया गया दावा गैर जिम्मेदाराना

दुनियाभर में दिल और शादियों का टूटना कोई अनूठी बात नहीं है, लेकिन अगर फिल्मी दुनिया के तीन एक्टर्स भी अपने रिश्ते तोड़ लें तो सारी सुर्खियां चीख-चीखकर कहेंगी : ‘बॉलीवुड में संकट में शादियां।’ यौन प्रताड़ना, अपराध, खुदकुशी और नशीले पदार्थों को लेकर भी यही स्थिति है। यह दावा कि फिल्मी दुनिया के 90 प्रतिशत लोग नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं, निहायत गैर जिम्मेदाराना और बॉलीवुड की छवि को धूल-धूसरित करने वाला है। मैं पिछले करीब 40 साल से सिनेमा पर लिख रही हूं। इस दौरान मेरा कलाकारों की कई पीढ़ियों से संवाद रहा है। लेकिन शायद ही कभी मेरा उन नशीड़ी जमातों से सामना हुआ जो अन्य लोगों को बड़ी आसानी से न जाने कहां मिल जाती हैं।

भावना सोमाया, जानी-मानी फिल्म लेखिका, समीक्षक और इतिहासकार

फिल्म बिरादरी हमेशा मदद के लिए आगे आती है

जब भी देश पर या शहर के सामने कोई संकट खड़ा होता है, फिल्म बिरादरी के लोग हमेशा मदद के लिए आगे आते हैं, फिर चाहे बाढ़ हो, सूखा हो, भूकंप हो, जंग के हालात हों या फिर कोरोना जैसी महामारी हो। उन सभी कलाकारों के बारे में सोचिए जो विभिन्न पब्लिक प्लेटफॉर्म पर सामाजिक संदेश देते आए हैं। चाहे डॉक्टर्स हों, हमारी सेना के जवान हों, पुलिस के जवान हों, फिल्म बिरादरी के लोग हमेशा उनकी हौसला आफजाई करते आए हैं।

हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि सौ साल से भी अधिक पुरानी इस इंडस्ट्री के अनगिनत तकनीशियन, संगीतकार, गीतकार, गायक, फिल्म निर्माता, एक्टर्स दर्शकों का पीढ़ियों से मनोरंजन करते आए हैं। अब अचानक किसी एक घटना के आधार पर उसकी पूरी छवि को तार-तार करने की कोशिश की जा रही है, जो न केवल बचकानी है, बल्कि कमर के नीचे वार करने जैसी है।

इंडस्ट्री के बचाव के लिए आगे आना होगा

मौजूदा विवाद के बीच जया बच्चन का संसद में जोरदार शब्दों में अपनी बात कहने से हम सब रुककर सोचने पर विवश हुए हैं। जो लोग ब्रेकिंग न्यूज के फेर में टीवी चैनलों से चिपके हुए हैं, उन्हें खुद से यह पूछने की जरूरत है कि आखिर वे सुर्खियों को लेकर इतने भूखे क्यों हैं? क्यों दूसरों के ‘रति दर्शन’ में उन्हें इतना सुख मिल रहा है? फिल्म बिरादरी इसे और सहन नहीं कर सकती। मेरे विचार से सभी संगठनों जैसे इंडियन मोशन पिक्चर्स प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन, द डायरेक्टर्स गिल्ड और सिने आर्टिस्ट एसोसिएशन को मिलकर कोई कदम उठाना चाहिए और इंडस्ट्री को जो भला-बुरा कहा जा रहा है, उस पर विराम लगाना चाहिए।

दोषी को सजा जरूर मिलनी चाहिए

हां, जो दोषी है, उसे जरूर सजा मिलनी चाहिए। लेकिन अगर बॉस्केट में कुछ सड़े हुए टमाटर हैं तो इसका मतलब यह नहीं निकाला जाना चाहिए कि पूरी बॉस्केट ही सड़ी हुई है। हर गलत चीज के लिए केवल फिल्मी दुनिया को ही जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।

जया बच्चन ने कम से कम पहला पत्थर उछालने का साहस तो किया। इसके लिए उन्हें जितना धन्यवाद दिया जाए, कम है।

Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today

Jaya Bachchan dared to throw the first stone, some tomatoes are rotten, it does not mean that the whole basket is rotten.

Dainik Bhaskar