जन लोकपाल बिल के लिए स्पेशल सेशन!
|दिल्ली विधानसभा का आगामी सत्र 18 नवंबर से शुरू हो रहा है। इस सत्र में जन लोकपाल बिल का मुद्दा काफी अहम है। सरकार के रुख को देखकर लग रहा है कि आगामी सत्र में यह बिल पेश नहीं किया जाएगा। वहीं बीजेपी का साफ कहना है कि जन लोकपाल का मुद्दा बेहद गंभीर है और इस पर सरकार से जवाब मांगा जाएगा।
वहीं सरकार ने भी बीजेपी के सवालों का जवाब देने के लिए रणनीति बनाई है। सरकार के प्रवक्ता नागेंद्र शर्मा से जब जन लोकपाल बिल के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि विधायकों का सुझाव है कि जन लोकपाल बिल को लेकर असेंबली का स्पेशल सेशन बुलाया जाए। उन्होंने कहा कि विधायक चाहते हैं कि स्पेशल सेशन में बिल पर विस्तार से चर्चा हो। हालांकि उनका यह भी कहना है कि अगर जरूरत हुई तो मौजूदा सेशन को बढ़ाया भी जा सकता है और उस समय जन लोकपाल बिल पेश किया जा सकता है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि अभी सरकार इस मुद्दे पर कोई सीधा जवाब नहीं दे रही है और दोनों तरह की बातें सामने आ रही हैं।
उधर, नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता का कहना है कि दिल्ली सरकार जन लोकपाल बिल को पेश करना ही नहीं चाहती। उन्होंने कहा कि इस सरकार ने बिल की जो कॉपी सर्कुलेट की थी, अब उस बिल को ठंडे बस्ते में डाला जा रहा है। उनका कहना है कि सरकार को जवाब देना होगा कि चुनाव के समय जिस बिल को मुद्दा बनाया गया था, आज उस बिल को पेश क्यों नहीं किया जा रहा है?
बीजेपी के रुख को देखकर यह तय लग रहा है कि जनलोकपाल बिल के मुद्दे पर बीजेपी के विधायक हंगामा करेंगे और सरकार को इससे निपटने के लिए खास रणनीति तैयार करनी ही होगी। मंडे को दिल्ली कैबिनेट की मीटिंग हुई, जिसमें विधानसभा सत्र के दौरान पेश किए जाने वाले बिलों पर चर्चा हुई। इस सत्र में द दिल्ली राइट ऑफ सिटिजन टु टाइम बाउंड डिलिवरी ऑफ सर्विसेज अमेंडमेंट बिल में बदलाव का प्रस्ताव लाया जा रहा है। अगर सर्विसेज में देर होती है तो इसके लिए अधिकारियों की सैलरी काटे जाने का भी प्रस्ताव होगा। इसके अलावा सर्टिफिकेट की सेल्फ अटेस्टेशन से जुड़ा प्रस्ताव भी होगा। आईपीसी और सीआरपीसी के कुछ प्रावधानों में संशोधन से जुड़ा प्रस्ताव भी पास होने की संभावना है।
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