‘जनहित’ में अफसरों ने टकराते एमसीडी नेता

रामेश्वर दयाल, नई दिल्ली

दिल्ली के लोगों के हित में एमसीडी नेता आजकल आला अफसरों से ‘टकराते’ नजर आ रहे हैं। नेताओं ने अगले साल 28 फरवरी तक सभी प्रकार की प्रॉपर्टी पर पैनल्टी और ब्याज माफ कर दिया था। लेकिन अफसर उनके इस निर्णय को टाल गए, जिसके बाद नेताओ ने डीएमसी एक्ट व अपनी पावर का प्रयोग किया और टैक्स पर माफी ले ली। फिलहाल 24 नवंबर तक बड़े नोटों से भी प्रॉपर्टी टैक्स जमा कराया जा सकता है।

प्रॉपर्टी टैक्स पर पैनल्टी व ब्याज माफी को लेकर नॉर्थ एमसीडी के नेताओं ने हाल ही में स्थायी समिति की स्पेशल बैठक बुलाई थी। जिसमें यह निर्णय लिया गया कि कमर्शल, रिहायशी व अन्य प्रकार की प्रॉपर्टी पर लगे पैनल्टी व ब्याज को अगले साल 28 अप्रैल तक माफ किया जा रहा है। यह छूट वर्ष 2004 से देने का निर्णय लिया गया, जब प्रॉपर्टी टैक्स को लेकर यूनिट एरिया प्रणाली लाई गई थी। छूट देने का निर्णय टल न जाए, इसके लिए स्थायी समिति ने हाउस की भी पूर्व अनुमति ले ली थी और कमिश्नर को इसे लागू करने का आदेश जारी किया था। लेकिन बताते हैं कि बाद में जब कमिश्नर ने इस मामले में नियम कानून देखे और संबंधित विभाग के अफसरों से बात की तो उन्होंने बता दिया कि यूनिट एरिया प्रणाली में जब इस प्रकार की छूट का प्रावधान नहीं है तो इसे लागू नहीं किया जा सकता।

सूत्र बताते हैं कि इस मसले को अगले दिन ही स्थायी समिति अध्यक्ष प्रवेश वाही ने अपने ‘खास अफसरों’ से पूछ लिया था कि इस छूट को कैसे लागू किया जा सकता है। उसके बाद उन्होंने एमसीडी नेताओं के साथ कमिश्नर पीके गुप्ता से मुलाकात की तो उन्हें कहा गया कि इस छूट को लागू नहीं किया जा सकता है। लेकिन उन्होंने जानकारी दी कि स्थायी समिति को डीएमसी एक्ट की धारा 175 के तहत ऐसे आर्थिक मामलों में निर्णय लेने का अधिकार है, इसके अलावा हाउस को भी डीएमसी एक्ट की धारा 177 के तहत इसी प्रकार का अधिकार मिला हुआ है, इसलिए इसे रोका नहीं जा सकता। उन्हें यह भी बताया गया कि स्थायी समिति और हाउस के अधिकार अफसरों से ऊपर हैं, इसलिए इस फैसले को लागू करें। जिसके बाद कमिश्नर को उनका फैसला मानना पड़ा। इस मसले पर प्रवेश वाही का कहना है कि यह फैसला ‘जनहित’ में लिया गया है, उसका कारण यह है कि पैनल्टी व ब्याज ज्यादा होने से लोग प्रॉपर्टी टैक्स जमा नहीं कर रहे हैं और ऐसे लोगों के खिलाफ एमसीडी कोई एक्शन नहीं ले पा रही है, ऐसे में माफी देने से अलावा कोई उपाय नहीं है। इस निर्णय से लोग टैक्स जमा कराने के लिए आगे आएंगे और एमसीडी की माली हालत सुधरेगी।

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