छीनेगी आप के 20 विधायकों की सदस्यता?

रामेश्वर दयाल, नई दिल्ली

आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की आयोग्यता का मसला राष्ट्रपति के दरबार में पहुंच गया है। केंद्रीय चुनाव आयोग ने लंबी सुनवाई के बाद अपनी फाइनल रिपोर्ट को राष्ट्रपति के पास भेज दिया है। आयोग की रिपोर्ट अगर ‘निगेटिव’ होगी तो इन विधायकों की सदस्यता खत्म हो सकती है। संसदीय सचिव के पद पर इन विधायकों की नियुक्ति को हाई कोर्ट पहले से ही खारिज कर चुका है। अगर ऐसा हुआ तो आम आदमी पार्टी और सरकार के लिए गंभीर परेशानी खड़ी हो सकती है।

मिली जानकारी के अनुसार केंद्रीय चुनाव आयोग इन विधायकों को आयोग्य करार देने की सुनवाई पर फाइनल रिपोर्ट बनाकर पिछले सप्ताह उसे राष्ट्रपति को भेज चुका है। अब राष्ट्रपति यह तय करेंगे कि इन विधायकों की सदस्यता रहेगी या जाएगी। वैसे पिछले डेढ़ साल से आयोग ने जिस गंभीरता से इस मसले की सुनवाई की है, उससे इस बात की संभावना नजर आ रही है कि उसकी रिपोर्ट में विधायकों की सदस्यता खत्म किए जाने की सिफारिश की गई है। उसका कारण यह है कि आयोग ने इस मसले की पर करीब एक दर्जन बार सुनवाई की। इस दौरान सभी विधायकों को अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया। विधायकों से उनका सामूहिक और निजी तौर पर पक्ष जाना गया, यहां तक कि उनकी विभिन्न मांगों को लेकर आयोग ने अपनी सुनवाई में फेरबदल तक किया।

सूत्र बताते हैं कि आयोग ने हमेशा यही कोशिश की कि सुनवाई के दौरान उस पर पक्षपात के आरोप न लगें, इसलिए सुनवाई लंबी की गई। अब पिछले सप्ताह आयोग ने अपनी रिपोर्ट बनाकर राष्ट्रपति को भेज दी है। इस रिपोर्ट को ही आधार बनाकर राष्ट्रपति ये निर्णय लेंगे कि विधायकों की सदस्यता खत्म की जाए या उन्हें बख्श दिया जाए। गौरतलब है कि मई 2015 में दिल्ली सरकार ने अपने 21 विधायकों को सरकार के विभिन्न मंत्रियों के विभागों का संसदीय सचिव बनाकर उन्हें ऑफिस, वाहन व अन्य सुविधाएं प्रदान कर दी थी। सरकार के इस निर्णय को अगले माह ही हाई कोर्ट के युवा वकील प्रशांत पटेल ने चुनौती दी और इस निर्णय को लाभ का पद बताते हुए सीधे राष्ट्रपति के सामने याचिका पेश कर दी। राष्ट्रपति ने अगले साल जुलाई 2016 में इस मामले को केंद्रीय चुनाव आयोग के पास भेज दिया था। अब इन विधायकों की संख्या 20 रह गई है, क्योंकि इनमें से एक विधायक जरनैल सिंह ने पंजाब विधानसभा में चुनाव लड़ने के लिए दिल्ली विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था।

इस मसले पर अपने विधायकों की तरफ से दिल्ली सरकार ने बड़े-बड़े वकील आयोग के सामने पेश किए। वकीलों ने विधायकों के संसदीय पद को लाभ का पद मानने के खिलाफ एक से एक दलीलें दी। लेकिन मामला दो कारणों से फंस गया। पहला तो यह कि सरकार ने कुछ माह के बाद ही इन विधायकों को दी जाने वाली सारी सुविधाएं निरस्त कर दीं और घोषणा कर दी कि उसने ऐसी नियुक्ति की ही नहीं है। दूसरे, यह कि 8 सितंबर 2016 को हाई कोर्ट ने इनकी नियुक्ति (संसदीय सचिव) को ही रद्द कर दिया था। बाद में सरकार की ओर से यह तर्क दिया गया कि जब कोर्ट ही उनकी नियुक्ति रद्द कर चुका है तो मामले को खत्म कर दिया जाना चाहिए। लेकिन वकील प्रशांत पटेल का तर्क यह था कि कुछ दिनों के लिए ही सही, इन विधायकों ने सरकारी सुविधा का लाभ तो उठाया ही है। माना जा रहा है कि अगर इन विधायकों की सदस्यता खतरे में पड़ सकती है तो सरकार और आम आदमी पार्टी को भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।

Delhi Political News in Hindi, दिल्ली राजनीति समाचार, खबर , Delhi Politics News