चुनावी में राजकोषीय संतुलन ताक पर रख देते हैं राज्य, ‘मुफ्त की रेवड़ियां’ खराब कर रही राज्यों की वित्तीय स्थिति
|पिछले दो वर्षों में देश के 10 राज्यों में चुनाव हुए। इन राज्यों में लोक-लुभावन वादे किए गए हैं जिनका अमल इन राज्यों के वित्तीय स्वास्थ्य पर बोझ डालेगा। कई राज्य ऐसे हैं जो अपने राजस्व संग्रह को लेकर बेहद आशावादी आकलन पेश कर रहे हैं। यह भी इन पर उल्टा पड़ेगा। राज्यों में होने वाले चुनाव में मुफ्त की रेवड़ी बांटने की परंपरा बहुत पुरानी है।