चीन में पासपोर्ट बनवाने के लिए मुस्लिम बहुल जिले के लोगों को करानी होगी डीएनए सैंपलिंग

पेइचिंग इस्लामिक अतिवाद और विदेशी प्रभाव से निपटने के लिए चीन ने शिनजियांग प्रांत के मुस्लिम बहुल सीमांत जिले में पासपोर्ट अप्लाइ करने पर डीएनए के सैंपल मुहैया कराने का आदेश दिया है। जिले के सभी नागरिकों पर सरकार का यह आदेश लागू होगा। थाइलैंड के नैशनल न्यूज पेपर में छपी रिपोर्ट और यिली डेली के अधिकारियों के मुताबिक 1 जून से आदेश जारी किया गया है कि सूबे के उत्तर-पश्चिमी जिले यिजी कजाख के लोगों को पासपोर्ट के लिए अप्लाइ करते वक्त पुलिस को डीएनए सैंपल, फिंगर प्रिंट, वॉइस प्रिंट और ‘थ्री डाइमेंशनल इमेज’ सौंपने होंगे।

स्थानीय पब्लिक सिक्योरिटी ब्यूरो ने भी इस रिपोर्ट की पुष्टि की है। ब्यूरो ने कहा कि यह फैसला नए पासपोर्ट बनवाने और रिन्यूअल पर लागू होगा। इसके अलावा ताइवान, हॉन्ग कॉन्ग और मकाऊ के लिए दो दिन के परमिट बनवाने पर भी यह फैसला लागू होगा। ब्यूरो ने कहा कि जो लोग इन शर्तों को पूरा नहीं कर सकेंगे, उन्हें ट्रैवल डॉक्युमेंट जारी नहीं किए जाएंगे।

यिली जिले की सीमाएं मंगोलिया, रूस और कजाकिस्तान से लगती हैं। यह शिनजियांग का हिस्सा है, जहां करीब 1 करोड़ की उइगुर मुस्लिम आबादी रहती है। उइगुर मुस्लिमों और पुलिस के बीच होने वाली झड़पों में अब तक सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं। पेइचिंग इस हिंसा के लिए इस्लामिक अतिवाद और विदेशी प्रभाव को जिम्मेदार मानता है। वहीं, उइगुर ऐक्टिविस्ट का कहना है कि चीन की ओर से धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतिबंध की नीतियां अपनाए जाने से ऐसा माहौल पैदा हुआ है।

भले ही चीन अकसर दावा करता है कि उसके यहां लोगों को अपने धर्म और विश्वास को मानने की आजादी है। लेकिन अकसर वहां धार्मिक अल्पसंख्यकों पर किसी न किसी तरह से नियंत्रण की खबरें आती रहती हैं।

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