घरेलू मैदान और अश्विन, जीत का परफेक्ट मसाला

जेमी ऑल्टर
भारतीय क्रिकेट टीम के कोच अनिल कुंबले के लिए शानदार तस्वीर है। एक स्मार्ट, आक्रामक और विविधतापूर्ण भारतीय स्पिनर मेहमान टीमों को ऐसा छका रहा है कि उन्हें कोई जवाब ही नहीं सूझ रहा। वह टीम को तो कामयाबी दिला ही रहा है साथ ही खुद के लिए भी कामयाबी की नई-नई इबारतें लिख रहा है। और भारतीय मैदानों पर कामयाबी के मंत्र से कुंबले अच्छी तरह वाकिफ हैं। 63 घरेलू मैचों में उनके नाम 350 विकेट जो हैं।

मंगलवार को इंदौर के होलकर मैदान पर आर अश्विन ने 22वें घरेलू टेस्ट मैच में अपना 153वां विकेट लिया। आप इसे किसी भी तरह से देखें यह एक शानदार आंकड़ा है। अभी उन्होंने केवल 39 टेस्ट मैच ही खेले हैं और बेशक हम एक शानदार क्रिकेटर को उभरते हुए देख रहे हैं।

ऐसा पहली बार नहीं है- और आखिरी बार तो कतई नहीं। वह अश्विन ही हैं जिन्होंने मंगलवार को सीरीज में न्यू जीलैंड के सफाए की पटकथा को अंतिम रूप दिया। न्यू जीलैंड की दूसरी पारी में अश्विन ने सात विकेट लिए। और वह भी सिर्फ 59 रन खर्च करके। अश्विन ने इस टेस्ट सीरीज में कुल 27 विकेट लिए। यह टेस्ट सीरीज में उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। इसके साथ ही मैच में भी उन्होंने 13 विकेट लेकर अपने पिछले प्रदर्शन में सुधार ही किया।

पूरी सीरीज में अश्विन ने कीवी टीम पर दबाव बनाए रखा। कानपुर में मैन ऑफ द मैच का खिताब वह हासिल करते-करते रह गए। यहां रवींद्र जाडेजा ने उन्हें पछाड़ा। इस मैच में उनका प्रदर्शन रहा (4/93 और 6/132) वह सबसे कम मैचों में 200 विकेट लेने वाले भारतीय गेंदबाज बन गए। कुल मिलाकर वह दूसरे नंबर पर रहे। कानपुर में उन्होंने चार विकेट लिए। वहीं इंदौर में उन्होंने पहली पारी में छह और दूसरी में सात विकेट लिए। अश्विन ने पारी में 21वीं बार पांच विकेट भी लिए।

जहां तक एशियाई धरती से बाहर की बात है तो अश्विन की गेंदबाजी की धार जरा कम होती नजर आती है। उन्होंने 13 टेस्ट मैचों में 41 विकेट लिए हैं। उनका औसत रहा है 42.73 का। लेकिन जहां तक घरेलू धरती पर प्रदर्शन की बात है तो अश्विन अपने पहले मैच से ही अतुलनीय नजर आते हैं। 2011 के बाद से घरेलू मैदान पर हासिल की गई हर जीत में अश्विन की छाप नजर आती है। भारत ने लंबे घरेलू सीजन में भाग लेना है और उसकी शुरुआत 3-0 के वाइट वॉश से हुई है। अश्विन के खेल न सिर्फ भारत को न्यू जीलैंड के खिलाफ जीत दिलाई बल्कि इसने इंग्लैंड, बांग्लादेश और ऑस्ट्रेलिया जैसी टीमों को भी संशय में डाल दिया होगा जिन्होंने आने वाले कुछ महीनों में भारत का दौरा करना है।

2012 की इंग्लैंड सीरीज को छोड़ दें जिसमें अश्विन ने 14 विकेट लिए थे, उन्होंने हर मेहमान टीम पर शिकंजा कसकर रखा है। अश्विन ने इस दौरान सभी बड़े विकेट लिए। शिवनारायण चंद्रपॉल, ऐलिस्टर कुक, केन विलियमसन को चार-चार बार आउट किया। ये सभी स्पिन गेंदबाजी के अच्छे खिलाड़ी माने जाते हैं। डेरेन ब्रावो को अश्विन ने पांच बार आउट किया है।

यह भी कहा जाता है कि अनिल कुंबले और हरभजन सिंह ने काफी लंबे समय तक स्पिन के बेहतर बल्लेबाजों के सामने गेंदबाजी की। यह बात सच भी है। माना जाता है कि दुनियाभर में बल्लेबाजी के स्तर में कमी आई है। और उसके बाद भारत में पिचें भी स्पिनर्स को मदद करती हैं। लेकिन इससे आप अश्विन की शानदार कामयाबी को कम करके नहीं तौल सकते। उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से अपने हुनर को तराशा है। वह ऐसे गेंदबाज बन चुके हैं जो भारत को घरेलू मैदानों पर एक के बाद एक मैच जिता रहे हैं। और बेशक जिस रफ्तार से अश्विन का खेल निखर रहा है इसका परिणाम विदेशी मैदानों पर भी नजर आएगा। विकेट उनके आत्मविश्वास में इजाफा ही करेंगे और मेहमान टीमों को बेशक इससे खौफजदा होना चाहिए।

अनिल कुंबले और अश्विन के बीच अब केवल हरभजन सिंह ही रह गए हैं जिन्होंने 55 घरेलू टेस्ट मैचों में कुल 265 विकेट लिए हैं। अश्विन अभी 30 साल के हैं और विकेट लेने की उनकी भूख लगातार बढ़ती जा रही है। भारत ने मार्च से पहले भारत में 10 टेस्ट मैच और खेलने हैं। अगर अश्विन फिट रहते हैं तो जिस अंदाज में उन्होंने कीवी बल्लेबाजों को छकाया है वह हरभजन और अपने बीच के अंतर को काफी कम कर सकते हैं।

और अश्विन की इस कामयाबी से बेशक अनिल कुंबले बहुत गर्व महसूस करेंगे।

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