गवर्निंग बॉडीज की लिस्ट को अप्रूवल दे DU : मनीष सिसोदिया
|डेप्युटी सीएम मनीष सिसोदिया ने डीयू के वाइस चांसलर प्रफेसर योगेश कुमार त्यागी को चिट्ठी लिखी है। पत्र में कहा गया है कि दिल्ली सरकार के 28 कॉलेजों की गवर्निंग बॉडी बनने में डीयू की ओर से अड़चन पैदा की जा रही है। इस तरह की डर्टी पॉलिटिक्स से कॉलेजों में परेशानी खड़ी हो रही है। सिसोदिया ने लिखा है कि फिलहाल इन कॉलेजों में टीचर्स व स्टाफ की परेशानियों को देखते हुए एक महीने की सैलरी रिलीज करने का आदेश दिया जा रहा है। लेकिन इस दौरान डीयू की एग्जिक्यूटिव काउंसिल दिल्ली सरकार द्वारा 25 अगस्त को भेजी गई गवर्निंग बॉडीज की लिस्ट को अप्रूवल दे दे।
गौरतलब है कि डीयू से जुड़े इन कॉलेजों की गवर्निंग बॉडी बीते एक साल से नहीं बन पाई है। इस पर विवाद के बीच सरकार ने कॉलेजों की फंडिंग पर रोक लगा दी थी। नवंबर में टीचर्स के सैलरी संकट को देखते हुए डीयू टीचर्स असोसिएशन ने सरकार से अंतरिम राहत देने की अपील की थी।
सिसोदिया ने पत्र में लिखा है कि डीयू से जुड़े दिल्ली सरकार के कॉलेजों की गवर्निंग बॉडीज का कार्यकाल पिछले साल 31 अक्टूबर को खत्म हो चुका है। उसके बाद छह महीने तक डीयू की ओर से गवर्निंग बॉडीज पैनल नहीं भेजा गया। ऐसा पहली बार हुआ, जब डीयू ने गवर्निंग बॉडीज को तीन महीने का एक्सटेंशन भी नहीं दिया। इस बीच दिल्ली सरकार लगातार पैनल भेजने की अपील करती रही। फंडिंग पर रोक लगने के बाद डीयू ने गवर्निंग बॉडी की लिस्ट तो भेजी लेकिन सरकार को सदस्य चुनने का मौका ही नहीं दिया। दरअसल यूनिवर्सिटी की ओर से गवर्निंग बॉडीज के लिए 400 से 500 नाम भेजे जाते हैं।
सरकार इनमें से हर कॉलेज के लिए 5-5 नाम चुनती है। इस तरह 28 कॉलेजों के लिए 140 नाम चुने जाते हैं। लेकिन डीयू ने जो लिस्ट भेजी, उसमें हर कॉलेज के लिए 5 नाम ही दिए और कुल 140 नाम भेजे गए। यानी सरकार को नाम चुनने का विकल्प ही नहीं दिया। पिछल साल ही 25 अगस्त को डीयू ने एक और लिस्ट भेजी पर फरवरी 2017 में इसे वापस ले लिया। इसके बाद 4 अक्टूबर को एक नई लिस्ट भेज दी। डिप्टी सीएम ने लिखा है कि डीयू की ओर से जानबूझकर गवर्निंग बॉडीज के गठन को रोका जा रहा है और इस तरह की पॉलिटिक्स बंद होनी चाहिए।
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