खराब सेवा के लिए टावर्स की कमी का बहाना नहीं बना सकते मोबाइल ऑपरेटर्स: TRAI
|कॉलड्रॉप के लिए पेनल्टी नए साल की शुरुआत के साथ ही शुरू हो जाएगी। इससे ठीक पहले टेलिकॉम रेग्यूलेटरी अथॉरिटी (ट्राइ) ने मोबाइल ऑपरेटर्स को चेताया है कि वे उपभोक्ताओं को बाधामुक्त सेवा मुहैया कराने में टावर्स और स्पेक्ट्रम की कमी का बहाना न बनाएं। इसके अलावा ट्राइ ने यह भी कहा है कि ऑपरेटर्स वॉइस सर्विसेज़ पर डेटा बिज़नस को तवज्जो न दें।
टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए ट्राइ के चेयरमैन आर. एस. शर्मा ने कहा, ‘हम एक रेग्यूलेशन जारी करने जा रहे हैं। आप ग्राहकों से उस सेवा के लिए पैसे नहीं वसूल सकते हैं जो आपने दी ही नहीं। इसलिए अगर कहीं भी सेवा में गड़बड़ी होती है तो निश्चित रूप से उसकी भरपाई की जानी चाहिए। ये स्वाभाविक सिद्धान्त है।’
गौरतलब है कि कॉल ड्रॉप पर पेनल्टी के खिलाफ मोबाइल ऑपरेटर्स और सेलुलर ऑपरेटर्स असोसिएशन ऑफ इंडिया ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर रखी है। इन ऑपरेटर्स में वोडाफोन, भारती एयरटेल, आइडिया सेलुलर और रिलायंस कम्यूनिकेशंस शामिल हैं जो ख़राब सेवा के लिए अपर्याप्त स्पेक्ट्रम और टावर्स की बात कहते आ रहे हैं।
हालांकि ट्राइ चेयरमैन आर. एस. शर्मा इस तर्क से इत्तेफाक नहीं रखते। वह कहते हैं, ‘हर जगह ऐसा नहीं है। हालांकि मैं कुछ हद तक यह स्वीकार कर सकता हूं कि कुछ जगहों पर टावर्स और स्पेक्ट्रम की कमी कॉल ड्रॉप में मददगार हैं, लेकिन इसका यह मतलब बिलकुल नहीं है कि इन्हीं दो कारणों के आधार पर आप सेवा मुहैया ही न कराएं।’
इसके अलावा वह यह भी कहते हैं कि टावर्स के लिए जगह उपलब्ध कराना कहीं से भी सरकार या लाइसेंस उपलब्ध कराने वाली संस्था की जिम्मेदारी नहीं है बल्कि यह सर्विस प्रोवाइडिंड कंपनी का दायित्व है।
एक अनुमान के मुताबिक देश भर में एक साल में 1 लाख करोड़ से ज्यादा फोनकॉल्स की जाती हैं जिसमें करीब 800 करोड़ कॉल्स ड्रॉप हो जाती हैं। लिहाजा अगर एक कॉल ड्रॉप के लिए 1 रुपये भी मुआवजा देना पड़ा मोबाइल ऑपरेटर्स को 800 करोड़ रुपये का भुगतान करना पड़ जाएगा। जो कि टेलिकॉम इंडस्ट्री के कुल रेवेन्यू का .5 फीसदी है।
Read in English: Don’t blame towers for poor service, says Trai
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