क्रूड ऑइल पर कस्टम ड्यूटी फिर हो सकता है लागू

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नई दिल्ली

वित्त मंत्री अरुण जेटली कच्चे तेल के आयात पर पांच प्रतिशत सीमा शुल्क फिर से लगाने पर विचार कर सकते हैं जिससे सरकार को तीन अरब डॉलर का अतिरिक्त राजस्व मिलने के साथ और घरेलू उत्पादकों के लिए परिचालन में बराबरी का अवसर मिलेगा। अभी कच्चे तेल के आयात पर कोई शुल्क नहीं है जबकि देश में उत्पादित कच्चे तेल पर दो प्रतिशत का केंद्रीय बिक्री कर लगता है जबकि आयातित कच्चे तेल को इससे छूट है।

घरेलू उत्पादकों को होगा फायदा

सरकारी सूत्रों ने कहा कि यह स्थिति घरेलू उत्पादकों के विपरीत है। कच्चे तेल की खपत का 20 प्रतिशत हिस्सा घरेलू उत्पादन से पूरा होता है जिस पर टैक्स लगता है आयातित 80 प्रतिशत हिस्सा अभी कर मुक्त है। सूत्रों ने कहा कि जेटली 28 फरवरी को पेश किए जा रहे अपने पहले पूर्ण बजट में इस विसंगति को दूर करने के उपाय कर सकते हैं।

वित्त मंत्रालय के सामने जो विकल्प हैं उनमें घरेलू कच्चे तेल पर लगा केंद्रीय बिक्री कर हटाया जाना जाना शामिल हो सकता है ताकि घरेलू उत्खनन कंपनियों को प्रोत्साहन मिले। वैकल्पिक तौर पर कच्चे तेल की कीमत में मौजूदा नरमी का फायदा उठाकर सरकार कच्चे तेल पर सीमा-शुल्क का फिर से लागू कर सकती है।

तर्कसंगत होगी कर प्रणाली

सीमा-शुल्क अधिक मिलने से सरकार को राजकोषीय घाटे का लक्ष्य पूरा करने में मदद मिलेगी। सरकार ने देश में उत्पादित कच्चे तेल के संबंध में 6.57 करोड़ बैरल पर केंद्रीय बिक्री के जरिए 12.5 करोड़ डॉलर का संग्रह किया। चालू वित्त वर्ष के पहले 10 महीने में 5.33 करोड़ बैरल पर 8.7 करोड़ डॉलर का संग्रह किया गया।

सूत्रों ने बताया कि सीमा शुल्क में बढ़ोतरी कर प्रणाली को तर्कसंगत बनाने की दीर्घकालिक नीति के अनुरूप है। पिछले कई साल से आयातित कच्चे तेल पर सीमाशुल्क का उपयोग कच्चे तेल की कीमत में उतार-चढ़ाव के असर को साधने और राजस्व बढ़ाने के लिए किया जाता रहा है।

 

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