क्राइम ब्रांच के ऑफिस में मदद मांगने गई बिहार पुलिस, मीडिया से बचाने के लिए मुंबई पुलिस को करनी पड़ी कड़ी मशक्कत

सुशांत सिंह राजपूत मामले में जांच के लिए पहुंची बिहार पुलिस के साथ आज बेहद अजीब वाक्य देखने को मिला। पुलिस की टीम मुंबई में सुबह से घूम-घूम कर इस मामले से जुड़े सबूत जमा कर रही थी और मीडिया की टीम उनका हर जगह पीछा कर रही थी। शाम को बिहार पुलिस के अधिकारी इस मामले में लोकल असिस्टेंस (स्थानीय पुलिस की मदद) लेने के लिए क्राइम ब्रांच के ऑफिस पहुंचे थे। इस दौरान मीडिया की भीड़ भी वहां पहुंच गई।

मीडिया कर्मी क्राइम ब्रांच के दफ्तर के बाहर जमा थे और बिहार पुलिस की टीम जैसे ही बाहर निकली मीडियाकर्मियों का हुजूम उनके पीछे पड़ गया। इस दौरान मुंबई पुलिस के लोग यहां पहुंचे और बिहार पुलिस के अधिकारियों को कथित तौर पर धक्का देकर पुलिस वैन में ले गए। हालांकि, बाद में मुंबई पुलिस की ओर से स्पष्ट किया गया कि वे सिर्फ बिहार पुलिस की मदद कर रहे थे।

हालांकि, जो वीडियो सामने आए हैं उसमें मुंबई पुलिस के लोग बिहार पुलिस के अधिकारियों के कमर में हाथ लगाकर अपने साथ ले जा रहे हैं। सोशल मीडिया में आरोप लगाया जा रहा है कि बिहार पुलिस के साथ कैदियों जैसा सलूक किया जा रहा है।

सुशील मोदी का दावा-मुंबई पुलिस नहीं कर रही मदद

बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने शुक्रवार को ट्वीट कर मुंबई पुलिस पर सुशांत सिंह राजपूत की मौत मामले में बिहार पुलिस द्वारा की जा रही निष्पक्ष जांच में रुकावट डालने का आरोप लगाया है। उन्होंने लिखा है कि बिहार पुलिस अपना सर्वश्रेष्ठ कर रही है, लेकिन मुंबई पुलिस से कोई सहयोग नहीं मिल रहा है। ऐसे में पूरे मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप देनी चाहिए।

बिहार पुलिस को तीन किलोमीटर पैदल चलना पड़ा

बिहार सरकार के एडवोकेट जनरल ललित किशोर ने एक बयान जारी कर कहा है कि जब एक राज्य से दूसरे में पुलिस जांच करने जाती है तो राज्य सरकार सहयोग करती है। लेकिन, दुर्भाग्यपूर्ण है कि मुंबई पुलिस ऐसा नहीं कर रही है। बिहार सरकार के आरोपों में तब और दम नजर आने लगा जब यह बात सामने आई कि मुंबई पुलिस ने बिहार पुलिस को गाड़ी तक मुहैया नहीं करवाई और उसे अभिनेत्री अंकिता लोखंडे से पूछताछ के लिए जाने में गुरुवार को 3 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा।

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बिहार पुलिस को मीडिया की भीड़ से बचाने के लिए मुंबई पुलिस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।

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