क्या बंद हो जाएगी नैनो? जून में टाटा ने बनाई केवल एक कार

नई दिल्ली
क्या एक समय भारत के मध्यम वर्ग को सबसे सस्ती कार का मालिक बनने का सपना दिखाने वाली नैनो अब इतिहास बन जाएगी? यह सवाल इसलिए खड़ा हो रहा है क्योंकि जून में टाटा ने केवल एक नैनो कार बनाई है। हालांकि कंपनी ने यह भी साफ किया है कि नैनो का उत्पादन बंद करने के लिए अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है। रतन टाटा की ब्रेन चाइल्ड नैनो आज इस मुकाम पर पहुंच चुकी है जबकि इसकी लॉन्चिंग के वक्त टाटा ने कहा था कि वह दोपहिया पर चलने वाले परिवारों को ज्यादा सुरक्षित और सस्ती कार दे रहे हैं।

पिछले महीने घरेलू बाजार में महज तीन नैनो की बिक्री हुई। टाटा मोटर्स की तरफ से फाइल की गई रेग्युलेटरी के मुताबिक इस साल जून में एक भी नैनो का निर्यात नहीं हुई। पिछले साल जून महीने में 25 नैनो देश के बाहर भेजी गई थीं। उत्पादन की बात करें तो इस साल जून में जहां एक यूनिट नैनो बनी वहीं पिछले साल इसी महीने में 275 यूनिट नैनो बनाई गई थीं। घरेलू बाजार में पिछले साल जून के महीने में 167 नैनो कार बिकीं। इस साल ये आंकड़ा महज तीन कार का रहा।

क्या कंपनी नैनो का निर्माण रोकने जा रही है, यह पूछे जाने पर टाटा मोटर्स के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘हम जानते हैं कि मौजूदा प्रारूप में नैनो 2019 के बाद जारी नहीं रह सकती। हमें नये निवेश की जरूरत हो सकती है। इस संबंध में अभी कोई फैसला नहीं किया गया है।’ उन्होंने कहा कि इस बीच अहम मार्केट्स में उपभोक्ताओं की मांग को पूरा करने के लिए नैनो का प्रॉडक्शन जारी है।

आपको बता दें कि नैनो को सबसे पहले जनवरी 2008 के ऑटो एक्सपो में सामने लाया गया था। तब इसे लेकर इतनी उम्मीद थी कि नैनो को आम आदमी की कार बताया गया। मार्च 2009 में बेसिक मॉडल की करीब एक लाख रुपये की कीमत के साथ नैनो को लॉन्च किया गया। ज्यादा कॉस्ट होने के बावजूद कीमत को लेकर किए गए इस फैसले पर रतन टाटा ने तब कहा था कि ‘वादा, वादा होता है’।

हालांकि नैनो का मुहुर्त ही गड़बड़ हो गया और बाद में भी समस्याएं लगातार बनी रहीं। शुरुआत में पश्चिम बंगाल के सिंगूर में टाटा मोटर्स के प्रस्तावित प्लांट से नैनो का उत्पादन होना था, लेकिन वहां जमीन अधिग्रहण को लेकर राजनीतिक और किसानों का भारी विरोध झेलना पड़ा। इसके बाद कंपनी को नैनो का प्रॉडक्शन गुजरात के साणंद में नए प्लांट में शिफ्ट करना पड़ा। रतन टाटा तक को बाद में कहना पड़ा कि कंपनी ने सबसे सस्ती कार के तौर पर नैनो का प्रचार कर गलती की।

नैनो टाटा मोटर्स के लिए जल्द ही घाटे का सौदा बन गई। टाटा संस के एक्स चेयरमैन मिस्त्री ने भी घाटे में रहने वाली नैनो की खुलकर आलोचना की और दावा किया कि इससे 1000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। मिस्त्री जिन्हें टाटा संस से पद से हटाए जाने पर अच्छा-खासा विवाद हुआ था, ने दावा किया कि भावनात्मक वजहों से टाटा ने नैनो का उत्पादन बंद नहीं किया।

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