क्या नॉर्थ कोरिया में किम जोंग-उन के शासन के अंत में चीन भी जुटा?

पेइचिंग
कोरियाई प्रायद्वीप में पैदा हुए विवाद से दुनिया पर एक और युद्ध का खतरा मंडरा रहा है। नॉर्थ कोरिया के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों के बंद नहीं होने के बाद अमेरिका का रुख लगातार हमलावर रहा है। नॉर्थ कोरिया के आक्रामक रवैये ने चीन के साथ भी उसके संबंधों पर असर डाला है। यही वजह है कि चीन में अब उस चीज पर बहस शुरू हो गई है जिसके बारे में कभी सोचा नहीं जा सकता था। चीन में नई बहस है कि क्या अब वह वक्त आ गया है कि किम जोंग-उन का शासन खत्म हो?

हालांकि अभी चीन का आधिकारिक लक्ष्य प्योंगयांग और वॉशिंगटन को बातचीत के टेबल पर बिठाना ही है। इसके बावजूद अब उस मुद्दे पर भी बहस शुरू हो गई कि युद्ध की स्थिति में चीन किम जोंग-उन के शासन के साथ क्या करेगा। अबतक चीन में इस तरह की बहसों पर निषेध ही दिखता रहा है।

समीक्षकों का कहना है कि इस तरह से सार्वजनिक बहसें कराना नॉर्थ कोरिया के मिसाइल कार्यक्रमों को रोकने के लिए दबाव बनाने का तरीका भी हो सकता है। नॉर्थ कोरिया के परमाणु और मिसाइल परीक्षणों ने चीन को भी नाराज किया है। चीन ने संयुक्त राष्ट्र की तरफ से नॉर्थ कोरिया पर लगाए गए नए और कठिन प्रतिबंधों का समर्थन भी किया है।

हालांकि इस तरह की चर्चाएं दूसरी तरफ भी इशारा कर रही हैं। इनका इशारा है कि चीन भी लंबे समय से अपने सहयोगी रहे नॉर्थ कोरिया के साथ रिश्ते पर फिर से विचार कर रहा है। पेकिंग यूनिवर्सिटी में स्कूल ऑफ इंटरनैशनल स्टडीज के डीन जिया ने इसी संदर्भ में सितंबर में ‘नॉर्थ कोरिया में बुरी स्थिति के लिए तैयार करने का समय’ विषय पर लेख पब्लिश किया था। इस लेख में जिया चीन को आकस्मिक योजनाओं के तहत अमेरिका और साउथ कोरिया से बात करने की सलाह देते दिखे।

इन दो देशों ने पहले भी चीन से इस संदर्भ में बात करनी चाही लेकिन प्योंगयोंग की नाराजगी के डर से ड्रैगन हमेशा पीछे ही हटता रहा। जिया लिखते हैं कि जब युद्ध वास्तविकता बन जाए तो पेइचिंग को इसपर चर्चा करनी चाहिए कि नॉर्थ कोरिया के नाभिकीय आयुध पर किसका नियंत्रण होगा। अमेरिका का या चीन का। जिया एक दूसरे खतरे की तरफ भी इशारा करते हैं। उनका कहना है कि युद्ध की स्थिति में नॉर्थ कोरिया से काफी शरणार्थी चीन आएंगे। इसे रोकने के लिए चीन नॉर्थ कोरिया में अपनी सेना भेजकर ‘सेफ्टी जोन’ बना सकता है।

इससे पहले अगस्त में चीन की सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने लिखा था कि चीन को अमेरिका और नॉर्थ कोरिया के टकराव में तटस्थ रहने की जरूरत है। चीन को तभी हस्तक्षेप करना चाहिए जब साउथ कोरिया या अमेरिका नॉर्थ कोरिया में शासन को बेदखल करने की कोशिश करें। एक पश्चिमी कूटनीतिज्ञ का कहना है कि नॉर्थ कोरिया में वर्तमान शासन को खत्म करने की चर्चाओं के पीछे का उद्देश्य किम जोंग-उन को डराना और नवंबर में ट्रंप की चीन यात्रा से पहले अमेरिका को खुश करना हो सकता है।

फुदान यूनिवर्सिटी के रिसर्च फेलो वैंग पेंग का कहना है कि अगर अंतरराष्ट्रीय समुदाय एकजुट होकर ऐसे दिखाने की कोशिश करे कि युद्ध की स्थितियां तो नॉर्थ कोरिया अपने परीक्षण बंद कर देगा। हालांकि चीन को नॉर्थ कोरिया को कैसे संभालना चाहिए, इसके बारे में भी पहले की धारणाओं में बदलाव के संकेत मिले हैं।

पेइचिंग स्थिति कंसल्टेंसी चाइना पॉलिसी के डायरेक्टर ऑफ रिसर्च डेविड केली का कहना है कि चाइना की अकादमी में अब यह सोच है कि हम नॉर्थ कोरिया के बगैर ज्यादा अच्छा कर सकते हैं। एकीकृत कोरिया चीन के लिए ज्यादा फायदेमंद हो सकता है। चीन लंबे समय से नॉर्थ कोरिया का समर्थन करता रहा है। नॉर्थ कोरिया अमेरिका की उन फौजों के खिलाफ चीन के लिए बफर का काम करता है जो साउथ कोरिया में तैनात हैं। इसके बावजूद पैरिस में इंस्टिट्यूट ऑफ स्ट्रैटिजिक ऐंड इंटरनैशनल रिलेशन में चीन के एक विशेषज्ञ का मानना है कि प्योंगयोंग का गिरना चीन के लिए खासकर आर्थिक तौर पर फायदेमंद होगा।

उनका कहना है कि चीन को अब यह लगता है कि नॉर्थ कोरिया के पतन से जरूरी नहीं कि उसका नुकसान ही हो। अगर नॉर्थ कोरिया का पतन शांतिपूर्ण तरीके से होता है तो चीन इसके पुनर्निर्माण के लिए सबसे बेहतर स्थिति में होगा। विश्लेषक नॉर्थ कोरिया के बारे में ये जिस तरह की बातें कर रहे हैं वैसी बातें पहले संभव नहीं थीं। 2013 में कम्युनिस्ट पार्टी के सेंट्रल पार्टी स्कूल के जर्नल के एडिटर डेंग ने लिखा था कि चीन को नॉर्थ कोरिया का साथ छोड़ देना चाहिए। इसके बाद उन्हें एडिटर पद से सस्पेंड कर दिया गया था।

अब हाल के दिनों उन्हें बिना रोक-टोक युद्ध के बाद की स्थितियों को लेकर खूब लिखा है। हालांकि चाइना पॉलिसी के डायरेक्टर केली कहते हैं कि प्योंगयोंग को छोड़ना इतना भी आसान नहीं होगा। उनके मुताबिक सबसे बड़ी समस्या यह है कि किसी को नहीं पता कि संबंध तोड़ने पर नॉर्थ कोरिया का व्यवहार कैसा होगा और वह क्या कदम उठाएगा।

मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।

ASIAN Countries News in Hindi, बाकी एशिया समाचार, Latest ASIAN Countries Hindi News, बाकी एशिया खबरें